सामाजिक समरसता और कठिन तपस्या का प्रतीक है छठ महापर्व व व्रत,गीत गाकर छठ मैया का किया गुणगान
संवाददाता नीतीश कौशिक
बागपत।चार दिवसीय छठ पर्व का शुक्रवार से आगाज हर्षोल्लास व श्रद्धा भक्ति के साथ विधिवत शुरू हो गया। सुबह महिलाओं ने छठ मैया की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की तथा गीत गाकर छठ मैया का गुणगान किया।
अश्विनी कुमार ने बताया कि, छठ पर्व के पहले दिन महिलाओं ने नहाये-खाये मनाया। जो महिलाएं व्रती थी, उन्होंने कुट्टू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का भात ग्रहण किया। उसके बाद आस-पड़ौस की महिलाएं एकत्र हुई। उन्होंने ढोल-मजीरों की थाप पर छठ मैया के एक से बढ़कर एक गीत गाये। माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया। पर्व को लेकर घर-परिवार में हंसी-खुशी का माहौल है। चारों तरफ छठ पर्व की धूम मची हुई है।
अश्विनी कुमार ने बताया कि छठ पर्व के दौरान शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। सूर्य ही एक मात्र ऐसे देवता है, जो प्रत्यक्ष दिखते हैं। यह पर्व धैर्य रखना सिखाता है। इसे प्रकृति पर्व भी कहते हैं। यह पर्व मात्र रीति-रिवाज ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का व्रत सबसे कठिन है। इसमें 36 घंटे तक भूखे-प्यासे रहना पड़ता है। इस महापर्व में सामूहिकता जैसी भावना दिखाई पड़ती है। जल में खड़े होकर एक साथ अनगिनत लोगों का भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का दृश्य देख लगता है कि ,जैसे यहां पर भेदभाव जैसी कोई चीज नहीं है।