महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू।

महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू।

चित्रकूट। राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू 15 फरवरी 2025 को अपनी धर्मपत्नी के साथ महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज प्रस्थान करेंगे। वे अपने निजी वाहन से यात्रा करेंगे। स्वामी जी वर्तमान में रामधाम आश्रम, शिवरामपुर, चित्रकूट में प्रवास कर रहे हैं, जहां उन्होंने महाकुंभ स्नान के महत्व पर गहन आध्यात्मिक विचार व्यक्त किए।

स्वामी कमलदास जी बापू श्री शिवमहा पुराण कथा के राष्ट्रीय कथा वाचक हैं और श्री श्री 1008 चतुर्भुज दास जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य हैं। उन्होंने कहा कि गंगा स्नान केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का एक माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल जल में स्नान करने से मन के पाप नहीं धुलते, बल्कि सच्ची भक्ति और ईश्वर में समर्पण ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

गंगा स्नान का महत्व

स्वामी जी ने अपने प्रवचन में गंगा स्नान की आध्यात्मिक गूढ़ता को समझाते हुए कहा, "भक्ति के बिना धर्म पालन मात्र से मुक्ति तो दूर की बात है, अन्तःकरण की शुद्धि भी नहीं हो सकती। मछली गंगाजल में सदा रहती है, परंतु भक्ति के बिना उसका उद्धार नहीं होता।" उन्होंने तुलसीदास जी की चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा—

"वारि मथे बरु होय घृत, सिकता ते बरु तेल।

बिनु हरि भजन न भव तरिय, यह सिद्धांत अपेल।।"

स्वामी जी ने कहा कि अगर केवल स्नान करने से ही पाप मिट जाते, तो वर्षों से गंगा में डुबकी लगाने वाले सभी निष्पाप हो जाते। लेकिन जब तक मन में भक्ति न हो, तब तक असली शुद्धि संभव नहीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे यदि कोई शीशी में अपवित्र जल भरकर गंगा में डाल दे, तो बाहर से गंगा का जल उसे पवित्र नहीं कर सकता, क्योंकि वह भीतर से वही रहता है। इसी प्रकार, जब तक मन और आत्मा को गंगाजल में समर्पित नहीं किया जाता, तब तक वास्तविक पवित्रता संभव नहीं।

महाकुंभ में संतों का महामिलन

महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एक महायज्ञ है, जिसमें देशभर से संत-महात्मा, योगी और श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। स्वामी कमलदास जी बापू का यह स्नान और प्रवास आध्यात्मिक जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। उनके प्रवचनों और उपदेशों से श्रद्धालुओं को आत्मशुद्धि और भक्ति का वास्तविक स्वरूप समझने का अवसर मिलेगा।

आध्यात्मिक संदेश

महाकुंभ प्रस्थान से पूर्व अपने आश्रम में उन्होंने कहा, "गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि मोक्षदायिनी देवी हैं। जो श्रद्धा और भक्ति के साथ इसमें स्नान करता है, वही असली शुद्धि प्राप्त करता है। इसलिए केवल कर्मकांड से नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति से जीवन को धन्य बनाना चाहिए।"

स्वामी जी 15 फरवरी को प्रयागराज पहुंचेंगे और वहां विभिन्न संतों से भेंट कर गंगा स्नान करेंगे। उनके इस आध्यात्मिक अभियान को लेकर उनके शिष्य और अनुयायी उत्साहित हैं। महाकुंभ में उनका यह प्रवास भक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने वालों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा।