रिक्शा चालक की आत्महत्या पर उबाल, परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार।

रिक्शा चालक की आत्महत्या पर उबाल, परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार।

चित्रकूट। जिले में भ्रष्टाचार के एक सनसनीखेज मामले ने तूल पकड़ लिया है। 6 मार्च को एक गरीब रिक्शा चालक ने कथित रूप से अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। अब पीड़ित परिवार ने जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर दोषी एआरटीओ और पीटीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई और आर्थिक सहायता की मांग की है।

आत्महत्या करने वाले रिक्शा चालक फूलचंद जायसवाल के परिजनों के समर्थन में समाजवादी पार्टी के सदर विधायक अनिल प्रधान, सपा जिलाध्यक्ष शिवशंकर सिंह यादव, महासचिव नरेंद्र यादव, डॉक्टर निर्भय सिंह पटेल, सूरज पटेल, गुलाब खान, पप्पू जायसवाल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अमित यादव समेत सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे। मृतक की पत्नी प्रीति जायसवाल ने अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार चौरसिया को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने इस घटना के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।

क्या है मामला?

प्रीति जायसवाल के मुताबिक, उनके पति फूलचंद जायसवाल रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। 5 मार्च की शाम धतुरहा चौराहा, कर्वी के पास एआरटीओ विवेक शुक्ला और पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी ने उनका रिक्शा जब्त कर लिया और छोड़ने के एवज में ₹50,000 की रिश्वत मांगी। आर्थिक तंगी के कारण वह इतनी बड़ी रकम नहीं दे सके, जिससे मानसिक तनाव में आकर उन्होंने 6 मार्च की सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

परिवार के अनुसार, मृतक ने कुछ समय पहले एक पुराना रिक्शा खरीदा था और उसमें ₹40,000 की नई बैटरी डलवाई थी, जिसका पैसा भी उधार था। ऐसे में जब रिश्वत की मांग हुई तो वह पूरी तरह टूट गए। रिक्शा जब्त होने से उनके परिवार की आजीविका भी छिन गई, जिससे वे गहरे अवसाद में चले गए।

सत्ता और प्रशासन आमने-सामने

इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सदर विधायक अनिल प्रधान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन पर भ्रष्टाचार और गरीबों के प्रति अमानवीय रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

सपा जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव ने कहा कि अगर पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला तो समाजवादी पार्टी बड़े स्तर पर आंदोलन करेगी। वहीं, अनिल प्रधान ने पीड़ित परिवार के घर जाकर ₹11,000 की आर्थिक मदद दी और न्याय दिलाने का भरोसा दिया।

प्रशासन का रुख सवालों के घेरे में

इस मामले में प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि फूलचंद जायसवाल नाम का कोई रिक्शा जब्त नहीं किया गया। लेकिन जब परिजन, सदर विधायक और सपा जिलाध्यक्ष कोतवाली पहुंचे, तो मृतक का रिक्शा वहां खड़ा मिला। इस खुलासे के बाद प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

परिवार का दर्द और भविष्य की चुनौती

फूलचंद जायसवाल के परिवार में उनकी पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं। पति के गुजरने के बाद अब उनके सामने भरण-पोषण का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। जिला प्रशासन से न्याय की आस लगाए परिजन कलेक्ट्रेट परिसर में फूट-फूटकर रोते रहे।

क्या मिलेगा न्याय?

यह घटना न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि गरीब तबके के प्रति उसकी बेरुखी भी उजागर करती है। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी? क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?