कब्जा पाने के लिए जज साहब को ही लगानी पड़ी 10 साल दौड़, इस तरह निपटा मामला
प्रयागराज, गाजियाबाद, लखनऊ, रायबरेली, सिद्धार्थनगर सहित कई जिलों में अपर जिला जज रहे श्री प्रकाश को फ्लैट का कब्जा पाने के लिए दस साल दौड़ लगानी पड़ी। राज्य उपभोक्ता आयोग की सख्ती पर निजी बिल्डर ने जैसे-तैसे फ्लैट का कब्जा बना कोई अभिलेख सौंपे दे दिया। आयोग ने इस कृत्य को गंभीरता से लेकर बिल्डर को 20 लाख रुपये मानसिक उत्पीड़न का देने का आदेश दिया है। निजी कंपनी को जमा धन पर 12 प्रतिशत ब्याज और एक लाख रुपये वाद शुल्क भी वादी को देना होगा।
अमेठी जिले के अतवारा गांव निवासी पूर्व अपर जिला जज श्री प्रकाश ने केडीपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नोएडा की ग्रैंड सबाना स्कीम में तीन कमरों का फ्लैट बुक कराया। उस समय पूर्व जज सिद्धार्थनगर जिले में नियुक्त थे। गाजियाबाद में बनने वाले फ्लैट की कुल लागत 29,06,250 रुपये थी। पूर्व जज ने 15 जनवरी 2012 को 4,36,000 रुपये नकद जमा करके आवंटन कराया और इसी आधार पर बैंक से 23,25,000 रुपये का ऋण लिया। परिवादी ने धीरे-धीरे करके कुल 27,99,665 रुपये जमा कर दिया, किंतु उसे फ्लैट का कब्जा नहीं मिला, जबकि फ्लैट का कब्जा जून या सितंबर 2013 में दिया जाना प्रस्तावित था।