पाकिस्तान के 17वें आर्मी चीफ बने आसिम मुनीर, रावलपिंडी में हुई सेरेमनी

पाकिस्तान के 16वें आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा 6 साल बाद इस पोस्ट से रिटायर हो गए हैं। उनकी जगह फोर स्टार रैंक पाने वाले आसिम मुनीर ने ले ली है। मंगलवार को बाजवा ने रावलपिंडी GHQ हेडक्वॉर्टर में बैटन ऑफ कमांड या कमांड स्टिक मुनीर को सौंपी। बैटन ऑफ कमांड लेने के बाद मुनीर फॉर्मली आर्मी चीफ बन गए हैं।

पाकिस्तान के 16वें आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा 6 साल बाद इस पोस्ट से रिटायर हो गए हैं। उनकी जगह फोर स्टार रैंक पाने वाले आसिम मुनीर ने ले ली है। मंगलवार को बाजवा ने रावलपिंडी GHQ हेडक्वॉर्टर में बैटन ऑफ कमांड या कमांड स्टिक मुनीर को सौंपी। बैटन ऑफ कमांड लेने के बाद मुनीर फॉर्मली आर्मी चीफ बन गए हैं।

सेरेमनी में लोगों को संबोधित करते हुए बाजवा ने आसिम मुनीर को बधाई दी और उम्मीद जताई की उनके चीफ बनने से पाकिस्तान को फायदा होगा। बाजवा ने मुनीर के साथ अपने काम के 24 सालों को भी याद किया।

रिटायरमेंट डेट से एक दिन पहले सोमवार को जनरल बाजवा ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से मुलाकात की। शरीफ ने कहा- बाजवा साहब की वजह से ही हम FATF की ग्रे लिस्ट, कोरोना वायरस और बाढ़ जैसे मुश्किल हालात से निकल सके।

22 करोड़ लोगों की नजर

  • पाकिस्तान की वेबसाइट ‘आज न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक- डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशन्स की बजाए फौज ही 22 करोड़ अवाम वाले मुल्क की सबसे बड़ी ताकत है। 8 महीने इसी रस्साकशी में गुजर गए कि जनरल बाजवा को एक और एक्सटेंशन मिलेगा या फिर कोई नया आर्मी चीफ आएगा। बहरहाल, कयासों का दौर थमा और पिछले हफ्ते साफ हो गया कि आसिम मुनीर नए आर्मी चीफ होंगे। मंगलवार को रावलपिंडी के 6आर्मी हेडक्वॉर्टर में ‘चेंज ऑफ बैटन कमांड सेरेमनी’ होगी। आम जुबान में इसे ‘चेंज ऑफ स्टिक सेरेमनी’ भी कहा जाता है।
  • आउटगोइंग आर्मी चीफ जनरल बाजवा अपने करीबी दोस्त और सहयोगी आसिम मुनीर को बैटन ऑफ कमांड सौंपेंगे। यह स्टिक एक खास तरह की लकड़ी से बनी होती है। इस लकड़ी को ‘मलाक्का केन’ कहा जाता है। आर्मी में इस स्टिक की बेहद अहमियत है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक- अगर पाकिस्तान की सियासत को छोड़ दिया जाए तो यहां हमेशा से फौज ही ताकतवर रही है। उसके रसूख और दबदबे के आगे सियासतदान छोटे पड़ते रहे हैं। यही वजह है कि 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद करीब-करीब आधा वक्त यहां मिलिट्री रूल रहा।

चलते-चलते

पाकिस्तानी फौज की परंपरा के मुताबिक- खास मौकों पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ को बैटन ऑफ कमांड या कमांड स्टिक साथ रखने की जरूरत होती है। मसलन- जब वो नेशनल फ्लैग को सैल्यूट कर रहा हो, गार्ड ऑफ ऑनर रिसीव कर रहा हो या किसी परेड का इन्सपेक्शन कर रहा हो।

इस मामले में यह जान लेना भी जरूरी है कि कब इस स्टिक को आर्मी चीफ साथ नहीं रखता। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) जब प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से मिलने जाता है तो यह स्टिक उनके साथ नहीं होती। 2013 में पाकिस्तान में यह सवाल उठा था कि अगर किसी वजह से यह स्टिक टूट जाए तो क्या होगा? तब इसका जवाब ये दिया गया था कि इसी तरह की दूसरी स्टिक बनवाई जाए।

सियासत और अपॉइंटमेंट

  • शाहबाज शरीफ सरकार ने पिछले हफ्ते 8 महीनों से जारी कयासों पर रोक लगाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को आर्मी चीफ बनाने का फैसला किया। खास बात यह है कि मुनीर 27 नवंबर को रिटायर होने वाले थे। उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल से फोर स्टार रैंक पर प्रमोट करते हुए जनरल बनाया गया। इसके बाद तीन साल का एक्सटेंशन देते हुए आर्मी चीफ बना दिया गया।
  • यह पूरी तरह से सियासी पोस्टिंग है। इसकी वजह यह है कि आसिम मुनीर इमरान के सख्त विरोधी हैं। अगस्त 2018 में जब इमरान प्रधानमंत्री बने तो उस वक्त मुनीर ISI चीफ थे। उन्होंने कथित तौर पर इमरान को बताया था कि उनकी पत्नी बुशरा बीबी, उनके पहले पति और दोस्त फराह खान करप्शन कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।
  • इमरान ने बजाय इस पर लगाम कसने के, आसिम मुनीर को ही ISI चीफ पद से हटा दिया। इसके बाद से खान और मुनीर के रिश्ते तल्ख होते चले गए। शाहबाज शरीफ ने इसका सियासी फायदा उठाया और मुनीर को आर्मी चीफ बना दिया। अब इमरान दबाव में हैं और यही वजह है कि उन्होंने शनिवार को अपना लॉन्ग मार्च रद्द कर दिया था। वैसे भी यह फ्लॉप हो रहा था।