जोशीमठ में हर घंटे बिगड़ रहे हैं हालात
उत्तराखंड के जोशीमठ शहर पर ज़मीन में समाने का ख़तरा हर घंटे के साथ बढ़ता जा रहा है. इस पूरे क्षेत्र को 'सिंकिंग ज़ोन' करार दिया गया है. बीते 48 घंटों में ज़मीन धसकने से टूटे मकानों की संख्या 561 से बढ़कर 603 हो गयी है
तेज़ी से बदलते हालात की वजह से आपदा प्रभावित इलाकों में रहने वाले हज़ारों परिवारों को पुनर्वास केंद्रों में ले जाया जा रहा है. चमोली के ज़िलाध्यक्ष हिमांशु खुराना ने ख़ुद लोगों के घर जाकर उनसे रिलीफ़ कैंप में जाने की अपील की है.
चमोली ज़िला प्रशासन ने जोशीमठ स्थित अपनी सरकारी इमारत में दरारें आने के बाद उसे खाली करना शुरू कर दिया है.
वहीं, पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर विशेषज्ञों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की है जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय होती दिख रही हैं.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने जोशीमठ शहर में एनडीआरएफ़ की एक टीम और एसडीआरएफ़ की चार टीमों को तैनात कर दिया है.
इन टीमों को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.
जोशीमठ की ज़मीन के नीचे क्या चल रहा है?
जोशीमठ शहर की ज़मीन के अंदर जो कुछ चल रहा है, उसका असर शहर की आबोहवा और यहां रहने वालों की ज़िंदगी पर दिखना शुरू हो गया है.
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक और भूगर्भशास्त्री पीयूष रौतेला ने द टेलीग्राफ़ अख़बार को बताया है कि जोशीमठ की ज़मीन के नीचे क्या चल रहा है.
पीयूष रौतेला कहते हैं कि दो से तीन जनवरी की दरमियानी रात को भूगर्भीय जल स्रोत फटने की वजह से जोशीमठ के घरों में दरारें आना शुरू हो गयी हैं.
वह कहते हैं, "इस भूगर्भीय जल स्रोत से हर मिनट चार से पांच सौ लीटर पानी निकल रहा है. इस बर्फ़ीले पानी की वजह से भूगर्भीय चट्टान का क्षरण हो रहा है. अब तक ये नहीं पता है कि इस भूगर्भीय जल स्रोत का आकार कितना बड़ा है और इसमें कितना बर्फ़ीला पानी मौजूद है. और ये भी स्पष्ट नहीं है कि ये अचानक क्यों फट गया है."
गर्भशास्त्रियों ने अपनी शुरुआती जांच में ये पाया है कि जोशीमठ की ज़मीन धसकने में जो एकाएक तेज़ी आई है, उसके लिए जनवरी के पहले हफ़्ते में भूगर्भीय जल स्रोत का फटना है.
लेकिन वैज्ञानिकों ने दशकों पहले इस तरह के संकट की चेतावनी दी थी.
पीयूष रौतेला ने साल 2010 में प्रकाशित एक साइंस जर्नल में चेतावनी दी थी कि इस क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों की वजह से तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं.
रौतेला कहते हैं, "ये संकट सिर्फ़ इस एक वजह से पैदा नहीं हुआ है. इसके लिए कई दूसरे कारक भी ज़िम्मेदार हैं."
रौतेला ने अपने साइंस जर्नल में बताया था कि जोशीमठ में लगातार ज़मीन धसकने के संकेत मिल रहे हैं.
उन्होंने ये चेतावनी भी दी थी कि अचानक किसी भूगर्भीय जल स्रोत के फटने या किसी भूर्गभीय जल स्रोत के खाली होने से ज़मीन धसकने का संकट पैदा हो सकता है.
गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पिछले हफ़्ते भूगर्भीय जल स्रोत फटने के बाद हालात बिगड़ गए हैं.