आश्चर्य :सरकारी क्रय केन्द्र खाली, प्राइवेट मिल को मिल रहा गेहूं!
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••किसानों को आकर्षित करने में सरकारी तंत्र फेल
संवाददाता शशि धामा
खेकडा।सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने के बजाए ,किसान प्राइवेट मिल पर बेचने को लालायित नजर आ रहे हैं , क्योंकि सरकारी तंत्र से बेहतर तौल सुविधा, अधिक भाव, नगद पेमेंट किसानों को आकर्षित कर रहा है। दिल्ली -सहारनपुर हाइवे पर स्थित आटा मिल को किसान गेहूं देने में किसान अच्छा समझ रहे हैं, दूसरी ओर सरकारी क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा सा पसरा हुआ हैै।
एक अप्रैल से सरकार ने किसानों के गेहूं खरीदने के लिए क्रय केंद्र शुरू किए , लेकिन खेकड़ा के सहकारी क्रय विक्रय केंद्र पर गुरुवार तक भी गेहूं की पहली खरीद नही हो पाई ।माना जा रहा है कि, किसान सरकारी तंत्र से खुश नही हैं। अधिक भाव, नगद पेमेंट और अन्य सुविधाओं के चलते किसान सरकारी के बजाए प्राइवेट मिल को गेहूं बेचने में खुश दिख रहे हैं। दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाइवे पर स्थित प्राइवेट आटा मिल पर गेहूं लदे वाहन पहुंच रहे हैं।
किसान संजय, राजेश, देवेन्द्र, रवि राजपाल, जय किशन आदि का कहना है कि, सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन, फरद, खाता नम्बर आदि की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद फिर आनलाइन पेमेंट का इंतजार भी करना पडता है। वहीं प्राइवेट मिल पर सरकारी केंद्र के मुकाबले 25 रुपये अधिक देकर प्रति कुंतल की खरीद की जा रही है। इतना ही नहीं साथ में पेमेंट भी नकद ही दिया जा रहा है। आलम यह है कि बागपत ही नहींं, गाजियाबाद के मंडौला, लोनी क्षेत्र के किसान भी गेहूं लेकर प्राइवेट मिल पर बेचना पसंद कर रहे हैं। किसानों की सरकारी तौल केन्द्रों से बेरुखी में सरकारी तंत्र की नीतियों की विफलता दिखा रही है।