खेकड़ा के श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में श्रद्धालुओं ने की जिनेंद्र भगवान की पूजा

खेकड़ा के श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में श्रद्धालुओं ने की जिनेंद्र भगवान की पूजा

बडागांव में आर्यिका चन्द्रमति माता के प्रवचनों की हुई अमृतवर्षा

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा |अष्टानिका पर्व के तीसरे दिन नगर के शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर विधान में श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र भगवान की पूजा की। दूसरी ओर बडागांव में आर्यिका माता चन्द्रमति के प्रवचनों से श्रद्धालुओं के ऊपर होती रही वीरप्रभु की भक्ति की अमृतवर्षा। 

कस्बे में विधानाचार्य जयकुमार निशांत के निर्देशन में इंद्रगणों ने भगवान की प्रतिमा का गर्म प्रासुक जल से अभिषेक किया। शांतिधारा के साथ पूजन विधान कराया गया। भोपाल से आए संगीतकार लोकेश म्यूजिकल ग्रुप के मधुर भजनों को विशेष रूप से सराहा गया। इंद्र-इंद्राणियों ने भजनों पर भाव विभोर होकर नृत्य किया।

 नित्य नियम पूजन में नवदेवता पूजन, चौबीस तीर्थंकर भगवान पूजन और भगवान शांतिनाथ का पूजन किया गया। विधानाचार्य ने पूरे विधि विधान से श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान की पूजन कराई गई। सौधर्म इंद्र द्वारा मंडल पर 32 अर्घ्य समर्पित किए गए। रात्रि में मंदिर में आरती और प्रश्नमंच के साथ लघुनाटिका का भी आयोजन किया गया। विधान में नीतू जैन, सुमेर जैन, आकाश जैन, जिनेश जैन, अजेश जैन, नितिन जैन आदि उपस्थित थे।

 बडागांव में सिद्धचक्र महामंडल विधान में मंगल प्रवचन करते हुए आर्यिका चन्द्रमति माताजी ने कहा कि, धर्म करने का उद्देश्य सांसारिक सुखों की प्राप्ति का नहीं होता ,बल्कि आत्मा की सिद्धि करने का होता है । धर्म करने वाली धर्मात्मा का उद्देश्य परमात्मा बनने का होता है । धर्म स्वयं को देखने का और स्वयं से करने का कार्य है ,दूसरों को दिखाने का नहीं । धर्म स्व संवेदन प्रत्यक्ष अनुभूति करने का कार्य है । आचार्य श्री ने कहा ,जैन धर्म और जैनेतर धर्मों में मात्र इतना अंतर है कि, जैन धर्म कहता है ब्रह्मा जैसे अंश हैं ,जबकि हिंदू धर्म कहता है हम ब्रह्मा के अंश हैं ।