जान के दुश्मन बने झोला छाप डॉक्टर एवं अवैध नर्सिंगहोम!!

जान के दुश्मन बने झोला छाप डॉक्टर एवं अवैध नर्सिंगहोम!!

स्वास्थ्य विभाग सोता रहता कुंभकर्ण की नींद!!

बिना किसी डिग्री के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े हर मर्ज का करते यह इलाज़..!!

रिपोर्ट-प्रदीप दूबे विक्की

औराई,भदोही । बाजार की गलियों से लेकर मुख्य मार्गाे पर झोला छाप अवैध डॉक्टरों के द्वारा बनाये हुए नर्सिंग होमो की भरमार हो गई है। आलम यह है कि गांव गांव व बाजारों शहरों की गलीयों में क्लीनक चला रहे हैं। बिना किसी डिग्री के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े हर मर्ज का इलाज इनके यहां होता है। अगर मरीज थोड़ा ठीक भी है और इनके इलाज से अगर वो बीमार पड़ जाए तो इससे इनको कोई परवाह नहीं है। केवल अपनी आमदनी से मतलब है क्यों कि फीवर हो चाहे टाइफाइड या कोई बड़ी गम्भीर बीमारी या अन्य चाहे कोई भी बीमारी हो इनको तो केवल लोगो को बेवकूफ बनाने के अलावा कोई और मामला नहीं है। क्योंकि इनको केवल अपनी आमदनी से मतलब है और इस स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल अनजान बना बैठा है। इन झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा खोले हुए क्लिनिक कहीं स्वास्थ्य विभाग की पनाह तो नहीं है!

दरअसल आपको बता दें कि

इन झोलाछाप डॉक्टर का लक्ष्य सिर्फ चंद पैसे कमाना ही होता है। यही वजह है कि आए दिन गरीब तबके के लोग इन के शिकार हो जाते हैं। जिससे वे अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। इसके बावजूद भी ऐसे अवैध डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। आज तक भी किसी भी झोलाछाप डॉक्टर बिन डिग्री लिए बैठे नर्सिंग होमो को नोटिस नहीं भेजा गया और ना ही उन पर कोई कार्रवाई की गई! गली और मुख्य सडकों पर दुकान क्लीनिक खोले सैकड़ों झोलाझाप डाॅक्टरों में अब तक एक भी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई हैं। कई सालों से बन बैठे डॉक्टरों का यह मामला चला आ रहा रहा हैं स्थानीय लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग कुंभकरण की नींद सोया हुआ है स्वास्थ्य विभाग की ओर से आज तक किसी को नोटिस तक नहीं भेजा गया है। इसके अलावा ना कोई कार्रवाई की गई हैं! यहीं कारण है कि यह झोलाझाप स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते।

गांव और शहर की गलियों !

झोलाझापों का शिकार शहर में कंस्ट्रक्शन साइटों में काम करने वाले मजदूर और गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं। इन बन बैठे तथाकथित डाॅक्टरों की दवाई से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोई खौफ!शहर की गलियों व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप क्लीनिक चला रहे हैं उन्हें पता है कि विभाग कभी छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ रहती है! किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है! अवैध क्लीनिकों के अलावा अवैध मेडिकल स्टोर भी सैकड़ों की संख्या में चल रहे हैं!यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर बैन है! 

सूत्रों का दावा है कि किसी भी झोलाछाप डॉक्टर और मेडिकल के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत करने पर छापेमारी की जाती है। तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाॅक्टर अवैध नर्सिंग होम अपनी दुकाने बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।