चित्रकूट-प्रगतिशील किसानों ने पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी से सीखे प्राकृतिक कृषि एवं देसी बीज संरक्षण के गुण।
चित्रकूट: प्राकृतिक कृषि अपना चुके पाठा के प्रगतिशील किसानों ने सतना के देशी बीज संरक्षण पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बुजुर्ग किसान बाबूलाल दाहिया के गेहूं, चना के बीज उत्पादन खेतों का भ्रमण कर प्राकृतिक तरीके देशी बीज उत्पादन एवं संरक्षण की तकनीकों को देखा व सीखा। साथ ही कृषि आश्रित समाज के भूले बिसरे उपकरणों का संग्रहालय भी देखा, जहा खेती किसानी से जुड़े 200 से अधिक उपकरण देखा, पहचाना तथा उपयोग के तरीके सीखे। यह उपकरण अब चलन से बाहर हो चुके हैं।
संस्थान कार्यकर्त्ता गजेंद्र ने दहिया से प्राकृतिक कृषि से तैयार फसल हेतु उचित बाजार के विषय में चर्चा की उन्होंने बताया की बाजार में उचित दाम न मिलने के चलते किसान निराश हो जाता है। इस पर दहिया जी ने भोपाल, इंदौर के बारे में सुझाव दिया। पाठा के 17 किसानों के इस शैक्षिणक भ्रमण को अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान द्वारा आयोजित किया गया। संस्थान द्वारा विगत 3- 4 सालों से पाठा क्षेत्र की 25 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती, बीज उत्पादन, बागवानी, बहुस्तरीय खेती एवं दोहा व तालाबों को पुनर्जीवन प्रदान कर जल संरक्षण के कार्यों को गति प्रदान किया जा रहा है। इस वर्ष 15 किसानों को प्राकृतिक तरीके से देशी बीज उत्पादन कराया जा रहा है। संस्थान के प्राकृतिक खेती द्वारा बीज उत्पादन करने वाले कोटा कंदईला, सकरोन्हा, गिदुरहा, ऐलहा बढईया, गुरौला, ददरी माफी, बंबिहा, इटवा-पाटीन के अनीश, श्रीपाल, शिवौतार, रामू, राज बहोर, पी एम चरण, अरुण कुमार, बसंतलाल, राजकुमार, देवनाथ आदि किसान हैं। शैक्षणिक भ्रमण को संस्थान कार्यकर्ता गुरुदयाल, भारती, सफाक गजेंद्रपाल द्वारा सफल बनाया गया।