क्षमाशील होने के तीन लाभ,कोई शत्रु शहीं रहेगा, समाधि बनी रहेगी तथा अंतिम समय में मिलेगी शांति:राजेन्द्र मुनि
संवाददाता आशीष चंद्रमौली
बडौत। नगर के श्री जैन स्थानक में श्री राजेंद्र मुनि जी महाराज, नरेंद्र मुनि जयंत मुनि के सानिध्य में संवत्सरि पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। उन्होंने संवत्सरी महापर्व के शुभ दिन पर अंतगड़दसा सूत्र की वाचनी को अर्थ सहित सम्पूर्ण किया।
त्याग शिरोमणि राजर्षि राजेंद्र मुनि ने कहा कि ,आज संवतसरी महापर्व है, जो शरीर का या सामाजिकता का पर्व नहीं है ,बल्कि शुद्ध आत्मा व अध्यात्म का पर्व है,समता व समाधि का पर्व है तथा समापना का मंगल मुहूर्त है। इस अवसर पर राजर्षि राजेंद्र मुनि ने, विराजित नरेंद्र मुनि जी महाराज व जयंत मुनि जी महाराज सहित अपने गुरु सुदर्शन संघ के सभी मुनिराजों से क्षमा याचना की तथा श्रमण संघ के आचार्य श्री शिव मुनि जी व युवा आचार्य श्री महेंद्र ऋषि जी सहित अन्य मुनिराजो से भी क्षमा याचना की।
दूसरी ओर शहर में विराजित दिगंबर जैन आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज व उनके 18 शिष्यों से भी उन्होंने क्षमा याचना की तथा क्षमाशील होने के तीन लाभ बताएं कि,कोई दुश्मन नहीं रहेगा ,मन में समाधि बनी रहेगी व अंतिम समय शांति से गुजरेगा। सभा मे घसीटू मल जैन, संजय जैन, शिखर चंद जैन, अमित राय जैन, वीरेंद्र जैन, राजीव जैन आदि उपस्थित रहे।