संगम की रेती पर पहुंचे नेपाल के संत, 750 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे प्रयागराज
महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच संगम नगरी प्रयागराज में देश-विदेश से संत-महात्मा जुटने लगे हैं। इनमें नेपाल से आए विष्णु गिरी महाराज विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जनकल्याण और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित विष्णु गिरी महाराज ने महाकुंभ में शामिल होने के लिए 750 किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा की है। पैदल यात्रा से प्रेरणा का संदेश विष्णु गिरी महाराज ने नेपाल से प्रयागराज तक की यात्रा बिना किसी वाहन का सहारा लिए पूरी की। उन्होंने इस यात्रा के माध्यम से लोगों को धर्म और तपस्या का महत्व समझाने का प्रयास किया। महाराज ने कहा, "महाकुंभ का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक जागृति है, बल्कि यह मानवता के कल्याण के लिए भी है। पैदल यात्रा मेरी तपस्या का हिस्सा है, और यह एक साधना के रूप में की गई है।" महाकुंभ में विशेष भूमिका महाकुंभ में आने वाले संत-महात्मा अपने-अपने तरीकों से जनकल्याण के लिए कार्य करते हैं। विष्णु गिरी महाराज भी लोगों को पर्यावरण संरक्षण और साधना के महत्व का संदेश देंगे। उन्होंने बताया कि वे इस महाकुंभ के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को साधना और सादगी की ओर प्रेरित करना चाहते हैं। संगम का महत्व संगम नगरी प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है, सदियों से संतों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था और साधना का केंद्र रहा है। महाकुंभ में यहां जुटने वाले संत-महात्मा तप, ध्यान और जनसेवा के संकल्प लेते हैं। विष्णु गिरी महाराज की यह पैदल यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह महाकुंभ के प्रति संतों की गहरी आस्था और समर्पण का भी प्रतीक है।
प्रयाग क्षेत्र में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का ही संगम नहीं होता है, बल्कि देश के कोने-कोने से आए लोगों और उनकी संस्कृतियों का भी संगम होता है।