महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि कर धूमधाम से मनाई गई जयंती।

महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि कर धूमधाम से मनाई गई जयंती।

 रमेश बाजपेई 
महराजगंज रायबरेली।कस्बा स्थित महावीर स्टड़ी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज में  छात्र-छात्राओं एवं अध्यापको ने महात्मा बुद्ध जी की जयंती बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। सर्वप्रथम भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं ने किया।प्रधानाचार्य कमल बाजपेई ने बताया कि संसार में अहिंसा तथा शांति का वातावरण स्थापित करने हेतु महापुरुषों नेअंधविश्वास अधर्म और रूढ़ियों में फंसेसमाज को परस्पर प्रेम सहानुभूति द्वारा मुक्ति दिलाने में अपना  सर्वस्व लगा दिया।समाज को नई दिशा दी।तथा सभी ने स्वीकार किया कि श्रेष्ठ आचरण ही सच्चा धर्म है बच्चों को महात्मा बुद्ध के जीवन परिचय को बताते हुए बताया कि 569 ई० पू० कपिलवस्तु के क्षत्रिय महाराजा शुद्धोधन माता माया के यहाँ  राजभवन लौटते समय लुम्बिनी नामक वन में बच्चे का जन्म हुआ।नाम सिद्धार्थ रखा गया।माता का देहांत जल्दी होने पर विमाता प्रजावती के द्वारा  लालन पालन हुआ।सिद्धार्थ एकांत प्रेमी  थे।उनका मन संसार से विरक्त होने लगा।इनका विवाह यशोधरा से कराया गया।इनके पुत्र हुआ नाम रखा राहुल,सांसारिक  विरक्ति के कारण एक रात सभी को सोते  छोड़कर सन्यास मार्ग पर चल पड़े।गया में वट वृक्ष के नीचे तपस्या किया।वही इन्हें ज्ञान  प्राप्त हुआ।अतः बुद्ध कहलाए।आपने चीन,जापान, तिब्बतनेपाल जावा,सुमात्रा आदि स्थानो पर अपने धर्म का पचार किया।जहां पर आपके अनुयायियों की बड़ी संख्या है।आपने अहिंसा परमोधर्मः*के सिद्धांत पर समाज को एक नई दिशा दी।तथा भेदभाव को मिटाकर कहा कि श्रेष्ठ आचरण ही  सच्चा धर्म है।भगवान बुद्ध  ने दुःख से मुक्ति के आठ उपायों का  आष्टागिक मार्ग कहा है।जिसमें *सम्यक दृष्टि  सम्यक  संकल्प सम्यक वाणी,सम्यक कर्मात,सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम,सम्यक स्मृति तथा सम्यक।इस अवसर पर पी.आर.ओ. राजीव मिश्रा, सौरभ श्रीवास्तव, अनिमेष मिश्रा,सुरेंद्र प्रजापति,नीरू बाजपेयी,मंजू सिंह, अनुपम सिंह, लक्ष्मी सिंह, साधना सिंह, शालिनी सिंह, ज्योति सिंह, ज्योति जायसवाल,फातिमा रुचि सिंह,राधा शुक्ला, अमित सिंह,आदर्श शुक्ला,अभिषेक राज त्रिपाठी,लवलेश सिंह, दिलीप गुप्ता,सुमित  गुप्ता सहित छात्र-छात्राओं व अध्यापक मौजूद रहे।