अहोई अष्टमीः बेटियों के लिए भी रखती है  व्रत 

अहोई अष्टमीः बेटियों के लिए भी रखती है  व्रत 

हिंदू परंपराओं में प्राचीन काल से ही माताएं अहोई अष्टमी का व्रत करती है । इसे होई के नाम से भी जाना जाता है । वैसे तो यह व्रत पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए माताएं करती हैं . लेकिन अब इस परंपरा में बदलाव आ गया है । माताएं अब अपनी पुत्री की लंबी उम्र की कामना के लिए भी यह उपवास करने लगी है । 

वो शाख है न फूल , गर तितलियां न हों , वो घर भी कोई घर है , जहां बेटियां न हो यह खबर वाकई इन लाइनों को चरितार्थ कर रही है । आज अहोई अष्टमी का त्योहार है । इस दिन संतान की लंबी आयु और उसकी सुख समृद्धि की कामना के लिए माताएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं । लेकिन ऐसे बहुत परिवार हैं , जिन्हें संतान के रूप में दो या तीन बेटियां हैं । ये मां - बाप बेटियों को बेटों से कम नहीं मानते । घर में बेटों की तरह ही सम्मान , प्यार व सत्कार दिया जाता है । ये माताएं बेटियों की दीर्घायु व अच्छी परवरिश के लिए निर्जल व्रत रखती हैं ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने वाले अधिकांश हिंदू वर्गों में अहोई अष्टमी का व्रत काफी प्रचलित है । दीवाली से आठ दिन पहले और करवाचौथ के चार दिन बाद आने • वाले इस व्रत को महिलाएं पुत्र की दीर्घायु के लिए रखती है । इस दिन पूरी आस्था के साथ अहोई माता की पूजा की जाती है ।

डॉ किरण सक्सेना का कहना है कि वह अहोई अष्टमी व्रत बेटी के लिए करती हूं। ताकि उसके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहे । आज के समय में बेटा और बेटी में फर्क करना गलत है । परंपराएं बदल गई है और बेटों की तरह बेटियां भी आगे बढ़ रही है तो उनके लिए मंगल कामना करना भी हमारा फर्ज है । इसलिए में बेटी के लिए अहोई का व्रत करती हूं ।

 डॉ निकिता बंसल का कहना है कि मेरे एक पुत्री व एक पुत्र हैं  क्योंकि बेटों की सुख समृद्धि ही क्यों बेटियां भी तो अपनी होती है । बेटा और बेटी एक समान होते है । इसलिए व्रत रखकर उनकी सुख समृद्धि की भी तो कामना करनी चाहिए ।
 डॉ लता का कहना है मेरे दो पुत्र हैं  अपने बेटों के लिए अहोई अष्टमी का उपवास रखती है । अष्टमी के दिन अहोई माता की आराधना करने से  कष्ट दूर हो जाते हैं  व्रत चांद को देखकर खोला जाता है । यह व्रत बच्चों की सुख समृद्धि के लिए होता है ।

 डॉ अणिमा गुप्ता का कहना वह बेटे के साथ ही अपनी बेटियों की लंबी उम्र की कामना के लिए यह उपवास रखती है । क्योंकि अब इस प्रथा में बदलाव आ चुका है । बेटियां भी बेटों के समान होती है ।
स्टाफ नर्स शालिनी चौधरी  अपनी बेटी व बेटों की सुख समृद्धि के लिए लंबे समय से अहोई अष्टमी का उपवास कर रही है । उनका कहना है कि बेटियां भी बेटों की तरह माता - पिता के लिए एक समान होती है तो केवल बेटों के लिए ही व्रत क्यों बेटियों के लिए भी तो करना चाहिए । •
स्टाफ नर्स सीमा काकहना है कि वह अहोई अष्टमी व्रत बेटी व बेटों  के लिए करती है । ताकि उसके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहे । आज के समय में बेटा और बेटी में फर्क करना गलत है । परंपराएं बदल गई है और बेटों की तरह बेटियां भी आगे बढ़ रही है तो उनके लिए मंगल कामना करना भी हमारा फर्ज है । इसलिए में अपने बेटे के साथ - साथ बेटी के लिए भी अहोई का व्रत करती हूं।