मऊ के अखिलेश कुमार सिंह बने असम के कानून व्यवस्था प्रमुख, गांव में जश्न का माहौल

अखिलेश कुमार सिंह को असम में कानून व्यवस्था का प्रमुख बनाया गया है। उनकी इस उपलब्धि से जनपद मऊ के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। गांव और जिले में जश्न का माहौल है। शिक्षा और प्रारंभिक जीवन 1979 में कृष्ण मुरारी सिंह और सुनैना सिंह के घर जन्मे अखिलेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी की। उनके पिता प्रधानाध्यापक थे, जिनकी देखरेख में उन्होंने अनुशासन और मेहनत का महत्व सीखा। 1995 में डीएवी इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। आईपीएस बनने का सफर

मऊ के अखिलेश कुमार सिंह बने असम के कानून व्यवस्था प्रमुख, गांव में जश्न का माहौल

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मधुबन क्षेत्र के एक छोटे से गांव मुरारपुर में जन्मे अखिलेश कुमार सिंह को असम में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। अखिलेश सिंह को कानून व्यवस्था का प्रमुख बनाया गया है। इस समाचार से उनके दिए जनपद मऊ के लोग काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। लोगों में काफी हर्ष का माहौल है। प्रधानाध्यापक पिता की देखरेख में उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा DAV से प्राप्त की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA और MA की डिग्री हासिल की।

जिले के मधुबन विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव मुरारपुर में कृष्ण मुरारी सिंह के घर 1979 में जन्मे अखिलेश कुमार सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई। माता सुनैना सिंह गृहिणी हैं। पिताजी के स्वर्गवास के बाद उनके साथ असम में ही रहती हैं। प्रधानाध्यापक पिता के देखरेख में शुरू से ही अनुशासित रहे अखिलेश कुमार सिंह ने उच्च शिक्षा के लिए जिले के प्रतिष्ठित डीएवी इंटर कॉलेज में दाखिला लिया। 1995 में डीएवी से इंटरमीडिएट पास कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA और MA की डिग्री हासिल की। इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए।

कड़ी मेहनत के दम पर बने आईपीएस
कड़ी मेहनत के दम पर 2003 में प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास करते हुए आईपीएस बन गए। इनको असम कैडर मिला। जिस समय उन्हें असम कैडर मिला उस समय पूरे असम में आतंकवाद और सांप्रदायिक दंगे चरम पर थे। अखिलेश सिंह ने अपने कड़े फैसलों और जनता के बीच भरोसा कायम करते हुए आतंकवाद और सांप्रदायिक दंगों को रोकने में काफी हद तक सफलता हासिल की।

साल 2014 में उल्फा के विरुद्ध अभियानों के लिए इनको राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद यह असम के अलग-अलग जिलों में पुलिस अधीक्षक तथा रेंज में डीआईजी रहे। शारदा कांड में ममता बनर्जी के चार मंत्रियों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आए।  अखिलेश कुमार सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर 2019 से 2022 में कोलकाता में सीबीआई के डीआईजी के पोस्ट पर रहे। साल 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार के चार मंत्रियों को नारदा कांड में उनके घर से गिरफ्तार करने के बाद अखिलेश कुमार सिंह राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आ गए। सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 6 घंटे तक अनशन पर बैठी रहीं और उनके ऑफिस का घेराव किया। बनर्जी ने अपने मंत्रियों को रिहा करने की मांग की। उनके ऑफिस पर पथराव भी किया गया लेकिन इन्होंने मंत्रियों को नहीं छोड़ा और जेल भेज दिया था।

कोयला तस्करी पर लगाया लगाम
सीबीआई कोलकाता में रहते हुए ही अखिलेश सिंह ने आसनसोल के संगठित कोयला चोरी के खिलाफ कठोर कदम उठाया। उन्होंने कोयला माफिया को जेल भेज दिया था। इसके बाद उन्हें 2021 में राष्ट्रपति के सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

नए साल में मिली बड़ी जिम्मेदारी
1 जनवरी 2025 को अखिलेश कुमार सिंह ने असम के आईजी कानून व्यवस्था का पद संभाला। कानून व्यवस्था के प्रमुख का पद एडीजी रैंक का होता है लेकिन उनको आईजी रैंक पर ही कानून व्यवस्था का प्रमुख बनाया गया है।

शिक्षकों को गर्व , मित्रों में खुशी का माहौल

डीएवी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता ऋषिकेश पांडे ने बताया कि अखिलेश कुमार सिंह शुरू से ही अनुशासित और मेहनती छात्र रहे। उन्होंने कहा कि उनके मेहनत और अनुशासन के बल पर ही आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। सभी शिक्षकों को उनके ऊपर गर्व है। अखिलेश कुमार सिंह की इस उपलब्धि पर उनके मित्रों में भी खुशी और उत्साह की लहर है। उनके मित्र अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि अखिलेश कुमार सिंह काफी सरल स्वभाव के और मृदु भाषी हैं। उनकी कड़ी मेहनत और जनता के बीच उनका विश्वास उनको आज इस मुकाम पर पहुंचाया है।