चित्रकूट में आयोजित नेत्र चिकित्सा कार्यशाला ने चिकित्सकों के अनुभवों का आदान-प्रदान किया।
चित्रकूट, 21 दिसंबर: संत रणछोड़दास महाराज द्वारा स्थापित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में शनिवार को एक अत्यधिक महत्वपूर्ण नेत्र चिकित्सकीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य विषय था आंख के अंदरूनी हिस्से में सूजन की बीमारी (रेटिना/यूविया), जिसमें देश-विदेश से 150 से अधिक नेत्र चिकित्सकों ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्देश्य भारत में अंधत्व निवारण को बढ़ावा देने और नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में नवीनतम शोध, तकनीकों एवं उपचार विधियों पर चर्चा करना था। इस दौरान चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा किया, जिससे नेत्र रोगियों को बेहतर और गुणवत्तायुक्त चिकित्सा मिल सके।
सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के निदेशक डॉ. बीके जैन और प्रशासक डॉ. इलेश जैन ने इस कार्यशाला की सराहना की और कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन चिकित्सकों को नए शोध और तकनीकों से अवगत कराता है, जिससे उनका उपचार कौशल और भी बेहतर होता है।
सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के रेटीना विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक सेन ने कार्यशाला में भाग लेने वाले चिकित्सकों को अपने अनुभवों को साझा करने का अनमोल अवसर मिलने की बात की। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज रीवा के डॉ. पीसी द्विवेदी, सिंगापुर से रूपेश अग्रवाल, प्रो. दीपांकर नंदी, डॉ. उमा नांबियार, डॉ. कल्पना बी मूर्ति, डॉ. राकेश शाक्या, डॉ. नरेंद्र पाटीदार, डॉ. गौतम सिंह परमार, डॉ. राजेश जोशी और डॉ. अमृता मोरे जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सक उपस्थित थे।
यह कार्यशाला ना केवल चिकित्सकों के लिए एक शिक्षा का स्रोत रही, बल्कि इससे नेत्र रोगियों को भी बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।