चित्रकूट के जंगल में पवन पुत्र हनुमान का रूप धारण करने वाले भोले शंकर आज भी है मौजूद, गिरती है जलधारा
चित्रकूट प्रभु राम की तपोस्थली और प्राकृतिक संपदा को समेटे हुए है.यह बेधक का जंगल बेहद खूबसूरत नजर आता है. उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर बेधक का जंगल है.यह जंगल विंध्य के पर्वतों से घिरा हुआ है.यह जंगल देखने में बेहद खूबसूरत नजर आता है.जंगल में पहुंचने के लिए बहुत ही कठिन रास्तों का उपयोग करना पड़ता है. तभी आप प्रभु राम की उस लीला मय रहस्यों तक पहुंच सकते है जो सतयुग से जुड़े चिन्ह आज भी चित्रकूट में देखा जा सकता है.
बेधक के जंगलों में भोले शंकर का दर्शन बहुत ही दुर्लभ हो पाताहै.भोले शंकर तक पहुंचने के लिए लकड़ी की सीड़ीओ के रास्ते से चलकर पहाड़ पर जाया जाता है.इस पहाड़ पर एक शिवलिंग की स्थापना वह भी अष्टधातु से निर्मित यह शिव मूर्ति अद्भुत है.कहते हैं प्रभु श्री राम अपनी अर्ध की पूजा करने के लिए अष्टधातु की मूर्ति की स्थापना करके इसी बेधक के पहाड़ पर पूजा अर्चना किए थे.कहते हैं कि सतयुग से भोले शंकर प्रभु की दर्शन के लिए व्याकुल थे क्योंकि प्रभु राम भोले शंकर का उपासना करते थे और भोलेनाथ प्रभु राम के उपासक थे.
चौबीस घंटे गिरती है जलधारा
इसी शिवलिंग पर 24 घंटे 12 महीने विशाल जल की धारा बहती रहती है. कहते हैं कि यह शिवलिंगप्रभु राम की कहानी सुनाता है. पहाड़ के ऊपर शिवलिंग के स्थान तकलोग जाकर जल चढ़ाते हैं और मनोकामना मांगते है. भक्त अपनी मनोकामना को पूरा होने के बाद यहां पर भंडारा भी करते हैं.
भोले शंकर के पूजारी ने कुछ खास बताया
शिवलिंग में प्रतिदिन पूजा करने वाले पंडित कैलाश शुक्ला बताते है की यह वही शिवलिंग है. जहां पर प्रभु राम ने खुद आकर उपासना की थी. तभी इसी स्थान में अष्टधातु की शिवलिंग की मूर्ति रखी हुई है.इस मूर्ति में आज भी प्रभु राम की झलक देखने को मिल जाती है. तभी तो लाखों मिल दूर का सफर तय कर कर भक्त पहाड़ के ऊपर चढ़कर पहुंच जाते है चाहे रास्ता कितना भी परेशानी भरा क्यों ना हो.