मऊ(चित्रकूट)-श्रीरामचरित मानस पाठ को अपने जीवन में उतारने से होता है समस्याओं का निदान - अन्नपूर्णा ।

मऊ(चित्रकूट)-श्रीरामचरित मानस पाठ को अपने जीवन में उतारने से होता है समस्याओं का निदान - अन्नपूर्णा ।

मऊ, चित्रकूट: संगीतमय साप्ताहिक श्रीराम कथा के पांचवे दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा ने लोगों को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि समाज में वर्तमान समय में व्याप्त तमाम समस्याओं का निदान श्रीरामचरित मानस पाठ और अपने जीवन में मानस को उतारने से हो सकता है। 

    मऊ के अनारमंडपम में चल रही श्रीराम कथा में महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा ने कहा कि भगवान का स्मरण करते रहें, तभी कल्याण होगा। बच्चे भी भगवान का भजन सुनें ताकि उन्हें प्रभु भजन की आदत पड़े। उन्होंने कहा कि जो राम के नाम को सदा जपते रहे, वह भरत ही थे। श्रीराम वनवास गए, तब भरत भी 14 साल तक धरती पर सोये थे। वह खुद सिंहासन पर नहीं बैठे बल्कि भगवान राम की पादुकाएं सिंहासन पर रख कर राज किया था। कलिकाल में तुलसीदास को भगवान श्रीराम के दर्शन भरत ने ही कराए थे। कथा व्यास ने कहा कि इसी पावन चित्रकूट पर भरत राम को मनाने आए थे। जो परिक्रमा मार्ग पर भरत मिलाप स्थान पड़ता है वहां पर आज भी उनके चरण चिन्ह बने हुए हैं। चित्रकूट में भाई-भाई का प्रेम देखकर पत्थर भी पिघल गए थे। भरत राज तिलक के लिए सभी तीर्थों का जल लेकर चित्रकूट आए थे। भगवान राम की आज्ञा से फिर वह जल भरतकूप में डाला गया था।

   उन्होंने कहा कि सूरज कभी नहीं कहता कि वह सूर्य है। जब रात का अंधकार मिटता है तो सूरज का अस्तित्व स्वयं ही लोगों को पता लग जाता है। उन्होंने कहा कि बिना हरि कृपा संत नहीं मिलते। संत दर्शन से पाप स्वयं छोड़कर चले जाते हैं। संत के भी कई प्रकार होते हैं। कोई केश से, कोई भेष से, कोई देह से, अंदर से, कोई बाहर से, कोई स्वभाव से, कोई आचरण से संत होता है।

   कार्यक्रम आयोजक पूर्व ब्लाक प्रमुख नवल किशोर मिश्रा व पुष्पा मिश्रा ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री पं अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिन के अवसर पर श्रीराम कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें आगामी 25 दिसम्बर को पूर्णाहुति के बाद विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। 

    इस मौके पर मुख्य यजमान छेदीलाल भभया, अनारकली, यज्ञाचार्य आचार्य विनोद ओझा, भरत लाल मिश्रा, शत्रुघन मिश्रा, शेषदत्त मिश्रा, शंकरदयाल मिश्रा, भोला मिश्रा, मनोज, कुलदीप, कुलभूषण, संदीप, दुर्गेश, करूणा सागर, गंगा सागर, रामयज्ञ, गौरव, सूरज, विजय, अजय मिश्रा आदि मौजूद रहे।