डिस्कॉम के निजीकरण का विरोध तेज, विद्युत कर्मचारी समिति ने उठाए गंभीर सवाल

डिस्कॉम के निजीकरण का विरोध तेज, विद्युत कर्मचारी समिति ने उठाए गंभीर सवाल

प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों (डिस्कॉम) के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सोमवार को निजीकरण के दुष्परिणामों पर उपभोक्ताओं को जागरूक किया। समिति का कहना है कि निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं और किसानों के हितों की अनदेखी की जाएगी।

मूल्यांकन के बिना परिसंपत्तियों का हस्तांतरण

समिति ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वह निजी घरानों को डिस्कॉम सौंपने के लिए जल्दबाजी में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहा है।
समिति के अनुसार, अधिनियम की धारा 131 के तहत परिसंपत्तियों का राजस्व क्षमता के अनुसार मूल्यांकन आवश्यक है। लेकिन दोनों डिस्कॉम - पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों का सीएजी से ऑडिटेड मूल्यांकन नहीं कराया गया है।समिति ने यह भी कहा कि इन निगमों का कुल राजस्व लक्ष्य 29,534 करोड़ रुपये तय किया गया है, जबकि परिसंपत्तियों को बेचने के लिए मात्र 1500 करोड़ रुपये का रिजर्व प्राइज रखा गया है।

किसानों और उपभोक्ताओं के साथ धोखा

राज्य सरकार द्वारा किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया है, लेकिन समिति का आरोप है कि उनके बकाया बिल अब भी एरियर में चल रहे हैं। इससे एटीएंडसी हानियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है ताकि निजीकरण का औचित्य साबित किया जा सके।

आगरा में बिजली पंचायत का आयोजन

मंगलवार को समिति आगरा में बिजली पंचायत आयोजित करेगी। इसमें उपभोक्ताओं, किसानों और कर्मचारियों को जोड़ते हुए निजीकरण के खिलाफ आंदोलन को तेज करने की योजना बनाई जाएगी। बैठक में टोरेंट कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को हो रहे नुकसान का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया जाएगा।

समिति का ऐलान

समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को परिसंपत्तियों का उचित मूल्यांकन कराना चाहिए और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।