गंगा दशहरा पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर मोक्षदायिनी गंगा का लिया आशीर्वाद।
रमेश बाजपेई
डलमऊ रायबरेली। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुई थी। रविवार को गंगा दशहरा का पर्व होने को लेकर रायबरेली में गंगा स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा रहा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जनपद के डलमऊ गेंगसों, रालपुर, गोकना,आदि गंगा घाटों पर पहुंचकर मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा पर मां गंगा में डुबकी लगाने से आरोग्य व अमृत योग की प्राप्ति के साथ पाप कट जाते है। मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ,,क्या है गंगा दशहरा का पौराणिक मान्यता?,, किदवंती पौराणिक कथाओं के अनुसार आज के दिन ही भागीरथी ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए तपस्या कर मां गंगा को स्वर्गलोक से पृथ्वी लोक पर लेकर आये थे। स्वर्गलोक से पृथ्वी लोक पर मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होकर निकली। कहा जाता है, कि तभी से जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि को मां गंगा के पूजा और विशेष स्नान की परंपरा शुरू हुई।कहा जाता है, कि आज के दिन मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा ध्यान और दान करने से लोगो का उद्धार होता है। काशी के पुजारियों के अनुसार जो लोग आज के दिन मां गंगा में स्नान करना जिनके लिए संभव नहीं हो वह श्रद्धालु शीतल जल में गंगा जल और तुलसी का पत्ता मिलाकर स्नान कर सकते है। वही स्नान के पश्चात वह भगवान भास्कर को जल अर्पित कर मां गंगा की आराधना करे और तत्पश्चात निर्धन व्यक्तियों और ब्राह्मणों को दान पुण्य करे।