ऋग्वैदिक सिनौली साइट व महाभारतकालीन बरनावा को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मिलें पहचान

••सांसद डॉ राजकुमार सांगवान द्वारा संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत से पर्यटन सुविधा व वर्चुअल म्यूजियम की मांग

ऋग्वैदिक सिनौली साइट व महाभारतकालीन बरनावा को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मिलें पहचान

ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक

बागपत। सिनौली साइट और महाभारतकालीन ऐतिहासिक बरनावा में आज भी मौजूद अवशेषों के अंतर्राष्ट्रीय पटल पर महत्व को देखते हुए विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सांसद डॉ राजकुमार सांगवान ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन विकास मंत्री गजेंद्र शेखावत से की मुलाकात। सांसद ने मंत्री शेखावत को दोनों स्थलों की अब तक हो रही उपेक्षा का भी हवाला दिया और शीघ्र ही व्यापक स्तर पर कार्य कराने की मांग की। 

सांसद ने बताया कि,मेरठ और बागपत के मध्य में स्थित बरनावा एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जहां महाभारत कालीन लाक्षागृह के अवशेष आज भी एक टीले के रूप में दिखाई देते हैं। दुर्योधन ने षड्यंत्र के तहत पांडवों को इस महल में ठहराया था , जिसमें जलाकर उन्हें मारा जा सके , लेकिन पांडव गुप्त सूचना मिलने पर वहां से गुप्त सुरंग द्वारा निकल भागे थे। ये सुरंग आज भी मौजूद है, जो बरनवा में हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है।

उन्होंने बताया कि ,पांडवों ने जो पाँच गाँव दुर्योधन से माँगे थे ,वह गाँव पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत, वरुपत (बरनावा) नाम से जाने जाते हैं।श्रीकृष्ण के संधि प्रस्ताव को दुर्योधन ने यह कहकर अपमान कर दिया था कि "युद्ध के बिना सूंई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं मिलेगी।"

चर्चा के दौरान मंत्री शेखावत से उन्होंने कहा कि, वर्तमान में यह वरुपत या वारणावत स्थल पूरी तरह से उपेक्षित है। इस ऐतिहासिक धरोहर स्थल को एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रू में विकसित किए जाने की आवश्यकता को देखते हुए सांसद डॉ राजकुमार सांगवान ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन विकास मंत्री से मुलाकात की और बताया कि,राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की निकटता को ध्यान में रखते हुए इस स्थल पर पर्यटकों हेतु समस्त आवश्यक सुविधाएँ विकसित की जानी चाहिए। इतिहासकारों, पुरातत्वविदों, छात्र-छात्राओं एवं सैलानियों के भ्रमण हेतु यह ऐतिहासिक स्थल आदर्श पर्यटक केन्द्र बन सकता है।

सांसद द्वारा मंत्री के सम्मुख मांग की गई कि, बरनावा के पुरातन एवं ऐतिहासिक स्थल को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए जरूरी अवस्थापना सुविधाओं के साथ-साथ महाभारत पर आधारित एक वर्चुअल म्यूजियम स्थापित करने हेतु अपने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें।

सांसद डॉ सांगवान ने संस्कृति और पर्यटन विकास मंत्री को यह भी बताया कि,बागपत जिले में स्थित पुरातत्व स्थल सिनौली-तिलवाड़ा, सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, जो दिल्ली से मात्र 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इतने निकट कोई भी सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल मौजूद नहीं है। इस पुरातत्व स्थल पर पहली बार रथ मिला है एवं डीएनए जांच रिपोर्ट में घोड़े के अवशेषों की भी पुष्टि हुई है। वैदिक काल से भी इस स्थल को जोड़ा जा सकता है,क्योंकि ऋग्वेद में जिस प्रकार की अंतिम संस्कार की प्रक्रिया वर्णित है ,ठीक उसी प्रकार के साक्ष्य खुदाई में यहां मिले हैं।

बताया कि,दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर धोलावीरा एवं लोथल में पुरातत्व स्थल पर प्रतिदिन हजारों पर्यटक जाते हैं,जबकि सिनौली-तिलवाड़ा में पर्यटकों हेतु किसी प्रकार की सुविधा न होने के कारण यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की लगभग 4 करोड़ जनसंख्या वाले क्षेत्र की निकटता को ध्यान में रखते हुए, इस पुरातत्व स्थल पर अन्य प्रसिद्ध पुरातत्वस्थलों के समान,पर्यटकों हेतु आवश्यक सुविधाएँ विकसित किए जाने की जरूरत है, जिससे विद्यालयों के लाखों छात्र-छात्राओं के शैक्षिक भ्रमण हेतु यह आदर्श स्थल बन सकता है।