आपने अक्सर बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि शादी और बच्चे सही समय पर कर लेने चाहिए नहीं तो बाद में काफी परेशानी होती है। आजकल इस बात पर कई लोगों की प्रतिक्रिया नकारात्मक भी होती है कि यह उनकी ज़िन्दगी है तो सारे फैसले भी उन्ही के होंगे। इसी विषय पर चर्चा करते हुए आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा ने बताया कि यह बात बिलकुल सही है कि बढ़ती उम्र के साथ आपकी फर्टिलिटी कम होती जाती है।
शादी के बाद हर कपल का सपना होता है माँ बाप बनना लेकिन जब किसी वजह से इसमें रुकावट आती है तब कपल्स की परेशानी बढ़ जाती है। आजकल महिला और पुरुष सभी जागरूक हो गए हैं इसलिए शादी से पहले वो अपने कैरियर को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में कई बार शादी में विलम्ब हो जाता है और फिर बच्चे पैदा करने में भी। ऐसे समय में आपकी फर्टिलिटी पर बढ़ती उम्र का असर दिखना शुरू हो जाता है। फर्टिलिटी की यह समस्या महिला पार्टनर या पुरुष पार्टनर दोनों में हो सकती है। यहाँ डॉ चंचल शर्मा से जानेंगे उन सभी सवालों के जवाब जो प्रायः सभी कपल्स के मन में होता है। जैसे फर्टिलिटी का उम्र से क्या सम्बन्ध है? किस तरह आपकी बढ़ती हुयी उम्र बन सकती है निःसंतानता का कारण? और कौन कौन से कारक हैं जो किसी व्यक्ति की फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं?
फर्टिलिटी पर उम्र का प्रभाव
हर स्त्री का ओवेरियन रिज़र्व फिक्स्ड होता है जो बढ़ती उम्र के साथ कम होता जाता है। ओवेरियन रिज़र्व जिसे हिंदी में डिंबग्रंथि आरक्षित भी कहते हैं, यह एक महिला के अंडाशय में मौजूद अण्डों की संख्या और गुणवत्ता को दर्शाता है। इससे एक स्त्री के फर्टिलिटी के बारे में पता चलता है। कई बार किसी प्रकार की चोट लगने से या बिमारी के कारण इसमें कमी आ सकती है लेकिन सामान्य रुप से उम्र बढ़ने के साथ यह ओवेरियन रिज़र्व कम होता जाता है। जैसे जैसे इसमें कमी आती है एक महिला की फर्टिलिटी में भी कमी आती जाती है। इसकी वजह से कपल्स पैरेंट्स नहीं बन पाते हैं और परेशान रहते हैं।
ओवेरियन रिज़र्व कम हो रहा है तो कैसे पता करें?
अगर आपका ओवेरियन रिज़र्व कम हो रहा है तो इसे पता करना बहुत जरुरी है तभी आप समय रहते इसका उचित उपचार करवाके गर्भधारण की प्लानिंग कर सकते हैं। अब जानेंगे कैसे पता करें ओवेरियन रिज़र्व के बारे में? इसे जानने के लिए आपको एक टेस्ट करना होगा जिसे एएमएच टेस्ट कहते हैं। यह टेस्ट आपके ब्लड द्वारा किया जाता है। अक्सर डॉक्टर इस टेस्ट के लिए उन्हीं कपल्स को सलाह देते हैं जिनको गर्भधारण में परेशानी हो रही है और उम्र 35 से ज्यादा हो चुकी है।
एएमएच सामान्य है या नहीं यह कैसे पता चलेगा?
एक महिला में एएमएच का स्तर उम्र के अनुसार बदलता रहता है लेकिन एक सामान्य रेंज की बात करें तो 1.5-4.0ng/ml स्वस्थ स्तर माना जाता है, जिसमे कोई भी महिला आसानी से गर्भधारण कर सकती है। लेकिन यहाँ यह बात समझनी होगी की कई बार एएमएच 1 से कम होने पर भी प्रेगनेंसी हो सकती है लेकिन उसके लिए महिला के गर्भाशय का स्वस्थ होना बहुत जरुरी है। उम्र, AMH, ओवेरियन रिज़र्व इन सबके अंतर्संबंध को समझना जरुरी है। अगर किसी महिला की उम्र 25 वर्ष है तो उसके लिए सामान्य AMH 3 माना जायेगा। अगर महिला की उम्र 25 से 30 तक है तो उसके लिए AMH का सामान्य स्तर 2 माना जायेगा। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है एएमएच का यह स्तर घटता जाता है। 45 की उम्र आते आते यह काउंट 1 से भी कम हो जाता है और फिर किसी महिला के लिए प्राकृतिक रूप से कन्सीव कर पाना मुश्किल होता है।
ओवरियन रिज़र्व कम होने पर क्या करें?
फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि आयुर्वेदिक उपचार द्वारा उन्होंने कई ऐसे पेशेंट की संतानप्राप्ति में मदद की है जिनका एएमएच 1 से भी कम था। इसलिए आपको निराश होने की जरुरत नहीं है क्यूंकि आयुर्वेदिक उपचार द्वार आप बिना किसी सर्जरी के प्राकृतिक रूप से माँ बनने की ख़ुशी पा सकते हैं। आयुर्वेदा के अनुसार इसके लिए शमन, शोधन और रसायन का सहारा लिया जाता है। आपको ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ और विटामिन डी के सेवन के लिए कहा जाता है। क्यूंकि ये सभी उपाय आपके ओवेरियन रिज़र्व को बढ़ाने में मदद करते हैं।