वैदिक यज्ञ के विद्वान आचार्य विनोद शास्त्री ने ईश्वर, जीव और प्रकृति को बताया अनादि सत्ता

••भावना और पर्यावरण शुद्धिकरण का साधन है यज्ञ
संवाददाता योगेश कुमार
दोघट।गाँव भड़ल मे वैदिक पुरोहित कपिल शास्त्री के आवास पर क्षेत्र में पर्यावरण शुद्धि के लिए देव यज्ञ किया गया ,जिसके यज्ञमान चौगामा पुरोहित पं देवेंद्र आर्य रहे।यज्ञ का ब्रह्मत्व गुरुकुल बरनावा के पूर्व प्रधानाचार्य विनोद शास्त्री ने किया।
इस मौके पर यज्ञ के ब्रह्मा आ विनोद शास्त्री ने कहा कि, ईश्वर ने मानव शरीर दिया है ,इसमें जीवात्मा विराजमान है।यह जीवात्मा ही शरीर चलाता है। परमात्मा ने सृष्टि का निर्माण किया है और संसार के संचालक भी वही हैं। ईश्वर जीव और प्रकृति तीनों अनादि सत्ता हैं। कहा कि परमात्मा ने जीवात्मा को भोग करने का साधन मानव शरीर दिया है, जबकि जीवात्मा क्रिया करने के लिए स्वतंत्र है। वह जो भी अच्छा और बुरा करता है, परमात्मा सब देखते हैं। मनुष्य जब अच्छा कर्म करता है तो ईश्वर उसे सुख देते हैं।हमारे अंदर भी खुशी की अनुभूति होती है।जीवन में सादगी आती है। किसी के साथ गलत, छल, धोखा आदि करने से मन में भय, डर व लज्जा होती है। यह परमात्मा की ओर से होता है।
आ विनोद शास्त्री ने कहा कि, मनु महाराज ने दो प्रकार का कर्म बताया है। पहला नित्य और दूसरा नियत।
इसके बारे में भी उन्होंने विस्तार से बताया। इसके अलावा मनु महाराज ने भी पांच प्रकार यज्ञ के बताए हैं।
कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ और ईश्वर के मुख्य नाम ओउम की ध्वनि से किया गया। इस अवसर पर योगेंद्र आर्य, मा आनन्द छिल्लर ,रविन्द्र छिल्लर ,प्रधान देवेंद्र राणा ,मा सुखवीर राणा ,डॉ विनोद राणा ,कालू राणा,चंद्रकांत आर्य,लविस आर्य , राजन आर्य, सागर आर्य ,अथर्व , आरोही ,अनन्या आदि उपस्थित रहे।