विद्युत विभाग ने अगर विद्युत दरों में 16% की वृद्धि की तो छोटे-छोटे उद्योग हो जाएंगे बर्बाद।
छोटे छोटे उद्योगों के लिए विद्युत दरों की वृद्धि मौत का पैगाम है।
कालपी। उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक और बड़ी-बड़ी उद्योग लगाने के लिए बड़े-बड़े आयोजन कर रही है वहीं दूसरी ओर छोटे छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन न देकर विद्युत दरें बढ़ाकर उनको बर्बाद करने का कुचक्र रच रही है अगर यह 16% की वृद्धि होती है तो उत्तर प्रदेश के हजारों उद्योग बंद हो जाएंगे।
उत्तर प्रदेश हाथ कागज निर्माता समित के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि कालपी नगर का हस्तनिर्मित कागज उद्योग जो उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ओ डी ओ पी मैं शामिल है के कालपी में 60 इकाइयां काम कर रही हैं यह उद्योग हस्तनिर्मित कागज बनाकर पूरे देश में आवश्यकता अनुसार आपूर्ति करता है तथा इस उद्योग में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से 5000 श्रमिककाम करते हैं इन उद्योगों की उत्पादन लागत इतनी अधिक है की उद्योग संचालकों को मुनाफा के नाम पर कुछ भी नहीं मिल पाता है बस किसी तरीके से दाल रोटी खाने को मिल रहा है हस्तनिर्मित कागज के बिक्री रेट पिछले 5 वर्षों से लगभग एक ही तरह के हैं उनमें कोई भी अभी तक वृद्धि नहीं हुई है क्योंकि बड़ी-बड़ी मिलो से बना हुआ कागज हस्तनिर्मित कागज से सस्ता होता है क्योंकि बड़ी मिलो का उत्पादन खर्च बहुत कम आता है इसलिए हस्तनिर्मित कागज को थोड़ा महंगा होने के कारण लोग मिलो का पेपर का प्रयोग करते हैं इसलिए अगर विद्युत दरों में और वृद्धि होगी तो उत्पादन लागत इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि हमारा प्रोडक्ट बाजार में बिक ना मुश्किल हो जाएगा और समस्त हाथ कागज उद्योग घाटे में चले जाएंगे।
श्री तिवारी ने बताया की हस्त निर्मित कागज उद्योग में प्रयोग होने वाला रा मटेरियल पूरे भारत में अनुपयोगी सूती कतरन से बनता है दूसरी और बड़ी-बड़ी मिलों में बनने वाला कागज हरे पेड़ों को काटकर बनाया जाता है जो पर्यावरण का दुश्मन भी है अगर सरकार को विद्युत दरें बढ़ाना ही है तो बड़े बड़ी मिलो के लिए ही वृद्धि की जाए छोटे उद्योग जो सबसे ज्यादा श्रमिकों को रोजगार देते हैं उन्हें बंद होने से बचाने की कोशिश की जाए।
श्री तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तथा जनप्रतिनिधियों से जनहित में मांग की है की छोटे छोटे उद्योगों की विद्युत दरे ना बढ़ाई जाए अगर विद्युत दरों की वृद्धि नहीं रोकी गई तो पूरे उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की बाढ़ आ जाएगी।