अक्षय तृतीया को ही तीर्थंकर ऋषभदेव ने आहार दान ग्रहण करने की शुरुआत की थी : मुनि अरुण चंद्र
••अक्षय तृतीया पालन महोत्सव में हजारों लोगों की श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

••सैकड़ो वर्षीतप करने वाले साधकों ने किया पारणा
ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक
बडौत। स्थानकवासी जैन समाज मंडी के तत्वाधान में प्रसिद्ध जैन मुनि अरुण चंद्र महाराज व उनकी शिष्यमंडली के सानिध्य में सैकड़ों वर्षीतप करने वाले तपस्वी जुटे।अक्षय तृतीया महोत्सव के दौरान दिगंबर जैन कॉलेज के फील्ड एवं मानस्तंभ परिसर में किया पारणा। इस दौरान हजारों लोग विभिन्न प्रदेशों से धर्म का जयकार करते नजर आए।
पारणा महोत्सव के दौरान उपस्थित हजारों जैन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैन संत अरुण चंद्र महाराज ने कहा कि ,वर्षी तप करने की परंपरा जैन धर्म में सैकड़ों वर्षों से विद्यमान है, क्योंकि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान ने लाखों वर्ष पूर्व हस्तिनापुर की पवित्र भूमि पर प्रथम बार 400 दिन की कठोर तपस्या करने के बाद आहार दान का प्रारंभ करते हुए पारणा किया था । उसी परंपरा के प्रति श्रद्धा निष्ठा जाहिर करने के लिए जैन समाज के लोग भगवान ऋषभ देव और जैन संस्कृति का पालन करते हैं।
वर्षीतप अक्षय तृतीया महोत्सव के दिशा निर्देशक डॉ अमित राय जैन ने कहा कि,जैन मुनि अरुण चंद्र महाराज उत्तर भारत के जैन समाज के बहुत प्रमुख संतों में हैं, उनका बड़ौत आगमन ऐतिहासिक है ,क्योंकि यह महोत्सव प्राचीन कुरु जनपद की प्राचीन भूमि पर हो रहा है यह उस परंपरा के प्रति सम्मान है ,जो कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को समृद्ध करने वाला है ।
संयोजक आशीष जैन ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि, जैन समाज अपने अतिथियों के लिए हमेशा की तरह कृत संकल्पित है।अध्यक्षता शिखर चंद शहजाद राय जैन ने की। वहीं स्थानकवासी जैन समाज के अध्यक्ष शिखर चंद जैन महामंत्री संजय जैन ने अक्षय तृतीया महोत्सव के दौरान मुख्य अतिथियों का स्वागत अभिनंदन शॉल एवं माल्यार्पण द्वारा किया। साथ ही एक विशेष रजत मुद्रा इस अवसर पर बनाकर सभी पारणा करने वाले तपस्वियों को एवं अतिथियों को भेंट की गई।