हसनगंज तहसील का बिगड़ा हाल,अधिवक्ता व बाबुओं की साँसगाँठ से हल्की हो रही जनता की जेब
कोरोना काल से अपनी कार्य शैली व भ्रष्टाचार को लेकर चर्चित रही हसनगंज तहसील एक बार पुनः अपनी कार्य शैली से एक बार पुनः चर्चा मे है।बीते दिनों हसनगंज तहसील के अतिव्यस्त कर्मचारियों व अधिकारियों की लापरवाही का एक उदाहरण़ फलैक्स पर जिलाधिकारी का नाम गलत अंकित होने का मामला प्रकाश में आया था।कहना अतिश्योक्ति न होगी कि जब अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने जिले के आलाधिकारी के नाम को पुनरीक्षित कर पुनर्लिखित कराने की फुर्सत नहीं तब आम जन के मामूली कार्यों मे आठ महीने लग जाना मामूली बात ही है या फिर बाबुओं का सुविधा कर
हसनगंज संवाद सूत्र/ब्यूरो महेंद्र राज
बताते चलें कि अति व्यस्तता के कारण़ हसनगंज तहसील के अधिकारी भी जन समस्याओं को लगभग नज़र अंदाज किऐ रहते हैं।परिणाम स्वरूप आम जन को अपने सामान्य कार्यों हेतु काफी समय व धन व्यय करना पड़ता है।
ताजा प्रकरण़ तहसील क्षेत्र के ग्राम सधवा खेड़ा बसिंधी मलेथ का प्रकाश में आया है।ग्राम निवासिनी स्व.मैकी की भूमि उनकी तीन पुत्रियों के नाम वसीयत के रुप में होनी है।पीड़ित पक्ष के अनुसार तहसील परिसर मे बैठने वाले एक अधिवक्ता के माध्यम से फाइल दि.04 फरवरी 2022 से न्यायिक तहसीलदार (हसनगंज)के कार्यालय मे जमा हैं।तब से दर्जनों चक्कर लगाने व सात हजार रु अधिवक्ता को कार्यालय मे लेन देन के लिए दिऐ जाने के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।पीड़ित के मुताबिक आफिस खर्च के लिऐ अधिवक्ता दस हजार रु की माँग कर रहे है।पीड़ित के अनुसार स्वयं कार्यालयीन संविदा पर कार्यरत् बाबू ने भी अधिवक्ता के कथन की पुष्टि की है।आज दिनांक 06 अक्टूबर को पुनःबुलाऐ जाने पर पीड़ित जब तहसील पहुँचा तब पीड़ित को ज्ञात हुआ कि अधिकारी बैठक मे गए हैं और कागजी कार्यवाही नोटिस न भेंज पाने के कारण़ वाधित हो गई है।इस प्रकरण़ मे तहसीलदार महोदय से शिकायत करने पर उनका कहना था कि प्रकरण़ मेरे समय का नहीं है व उनके संज्ञान मे भी नहीं।माननीय मु.मंत्री के जनता दर्शन कार्यक्रम मे इस समस्या को रखने की बात पर उन्होंने दो टूक कहा कि जहाँ भी कहना हो कह दो।कार्यवाही समयानुसार ही होगी।
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा निर्देशित है कि ऐसे मामले तुरंत निपटाऐ जायें पर शासनादेश को नजरंदाज कर आम जन को अनायास दौड़कर किया जा रहा परेशान।