चिकित्सकीय सेवाओं का बिगड़ा हाल,क्या निजी क्या सरकारी हर तरफ़ हाल बेहाल
अभी अचलगंज स्थित एक निजी चिकित्सालय मे गर्भाशय की गाँठ निकालने के दौरान हुई महिला की मौत से उपजा विवाद शाँत भी न हुआ था कि पुनः हसनगंज मे प्रसूता की मौत स्वास्थ्य विभागीय सतर्कता को नुमाया करता हुआ पुनः सामने आया है।

ब्यूरो महेंद्र राज
प्रदेश के उप.मुख़्य मंत्री/स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के चाक चौबंद रहने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाऐं सुधरने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं।स्वास्थ्य सेवाओं मे संसाधन हीनता व गुण़वत्ताभाव की पराकाष्ठा तो तब होती नज़र आती है जब निरंकुश निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता तो दूर राजकीय चिकित्सकीय सेवाओं की बदहाली भी नुमाया होती है।
हसनगंज कस्बा में संचालित अस्पताल में बुधवार रात प्रसव के लिए आई की महिला की मौत हो गई। मौत के बाद केंद्र संचालक ताला बंद कर भाग निकला।स्वास्थ्य विभाग ने बिना रजिस्ट्रेशन केंद्र चलने की बात कही है।यदि स्वास्थ्य विभाग की ही मानी जाऐ तो क्या नियमित निरीक्षण़ के दौरान केंद्र का गैर पंजीकृत होना प्रकाश में नहीं आया?
आसीवन थाना क्षेत्र के रसूलाबाद गांव निवासी सुनील की पत्नी रीमा मायके में रह रही थी। बुधवार शाम प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों द्वारा उसे हसनगंज स्थित जच्चा-बच्चा जांच परामर्श केंद्र पर आशा द्वारा भर्ती करवाया गया था। रात को रीमा ने बेटी को जन्म दिया।उसके बाद हालत बिगड़ गई।केंद्र संचालक ने आनन फानन दूसरी जगह दिखाने की सलाह दी।इस बीच प्रसूता रीमा की मौत हो गई।नवजात की हालत ठीक बताई जा रही है।
घटना के बाद संचालक ताला बंद कर भाग निकला।बताते चलें कि रीमा का पति विदेश में रहकर नौकरी करता है।रीमा के भाई संजीत कनौजिया ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि इमर्जेंसी सुविधाएं नहीं है।पति विदेश से आ रहा है। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी हसनगंज प्रमोद कुमार ने बताया कि बगैर रजिस्ट्रेशन के जच्चा बच्चा जांच परामर्श केंद्र चल रहा है।इसकी कोई भी जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि बीते दिनों अग्नि शमक अनापत्ति प्रमाण़ित न होने पर जनपद के 21 निजी स्वास्थ्य प्रदाता प्रतिष्ठानों को भी अग्रिम कार्यवाही तक पूर्णतया बंद रखने के आदेश हुऐ थे पर ठीक दूसरे दिन ही लगभग सभी अस्पताल खुले पाऐ गये थे।इस बाबत संबंधित से बात करने पर आदेशों को डाक से भेंजने की बात बताते हुऐ यह बताया गया था कि हो सकता है कि अस्पतालों को आदेशों को प्राप्त करने मे बिलंब हुआ हो।जबकि सेवाओं की प्राथमिकता को देखते हुऐ आदेश तत्काल प्रभावी करने की आवश्यकता थी।