कंबोडिया की 6 दिवसीय अध्ययन यात्रा के निष्कर्ष,भारत की सांस्कृतिक राजधानी है कंबोडिया : अमित राय जैन
••भारतीय प्रवासी शैलेश हीरानंदानी करेंगे इंडिया कंबोडिया कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना
बडौत।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार के निर्देश पर भारतीय प्रवासी शैलेश हीरानंदानी के निमंत्रण पर शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने छह दिवसीय कंबोडिया यात्रा से वापस आने के बाद निष्कर्षों की चर्चा करते हुए कहा कि ,कंबोडिया भारतीय सभ्यता व संस्कृति का अभिन्न अंग है, अगर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर समूह पर आधारित अनुसंधान शोध के लिए भारत सरकार, भारतीय संस्कृति प्रेमियों को कंबोडिया भेजती है, तो आने वाले समय में वह देश भारत की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाएगा !
इतिहासकार डॉ अमित राय जैन एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की डायरेक्टर प्रो गीता सिंह ने कंबोडिया में मौजूद भारतीय सभ्यता संस्कृति से जुड़े करीब 2 हजार प्राचीन मंदिरों में से करीब 10 मंदिरों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया तथा वहां मौजूद भारतीय धार्मिक प्रतिमाओं एवं स्थापत्य कला के मूर्ति शिल्प की विस्तृत फोटोग्राफी एवं अनुसंधान के उपरांत यहां बताया कि, कंबोडिया देश की यात्रा प्रत्येक भारतीय संस्कृति के प्रेमी को अपने जीवन में एक बार करनी चाहिए। वहां जाने पर ऐसा महसूस नहीं होता कि, आप भारत के बाहर के मंदिरों या सांस्कृतिक स्थल के दर्शन कर रहे हैं। सब कुछ आपको अपने भारत जैसा दिखलाई पड़ता है परंतु, मंदिरों की स्थापत्य कला में जरूर कंबोडिया के खमेर राजवंश की स्थापत्य शैली के दर्शन होते हैं।
उन्होंने बताया कि ,अंकोरवाट मंदिर, बियोन मंदिर, टेंपरोन मंदिर के विशेष अध्ययन के उपरांत यह पता चलता है कि ,वहां पर कभी भारतीय ,भगवान विष्णु शिव गणेश इत्यादि के मंदिर एवं चिन्ह प्रारंभिक रूप से रहे हैं।कंबोडिया में भारतीय संस्कृति एवं भारत की धार्मिक मान्यताओं ,हिंदू बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रमाण आज भी वहां पर स्थान स्थान पर देखने को मिलते हैं।
बताया कि, अंगकोर मंदिर की दीवारों पर समग्र महाभारत मूर्ति शिल्प में उकेरी गई है, जो यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल है और अभी यूनेस्को ने अंगकोर मंदिर को विश्व का आठवां आश्चर्य घोषित किया है, यह भी भारत के लिए अत्यंत गौरवशाली है ।
पुराविद अमित राय जैन ने बताया कि, भारतीय प्रवासी लंदन निवासी शैलेश हीरानंदानी द्वारा इंडिया कंबोडिया कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना शीघ्र ही कंबोडिया में की जाएगी, जिसके अंतर्गत वहां एक संदर्भ पुस्तकालय तथा अनुसंधानकर्ताओं के रहने के लिए समग्र व्यवस्थाएं इत्यादि जुटाए जाएंगे ताकि विश्व भर से भारतीय संस्कृति के शोधार्थियों को कंबोडिया में अनुसंधान की सुविधा दी जा सकें। प्राचीन भारतीय भौगोलिक सीमाओं के अध्ययन क्षेत्र को बढ़ाते हुए वियतनाम, थाईलैंड, जावा, सुमात्रा, भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान एवं अन्य उन सभी देशों का प्रवास कार्यक्रम रहेगा जहां पर भारतीय सभ्यता संस्कृति के चिन्ह आज भी मौजूद है ।
कंबोडिया अध्ययन यात्रा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देवगिरी जी का भी मार्गदर्शन मिलता रहा।