सर्दी पाले में गन्ने का अगोला पडने लगा पीला, हरे चारे की हो सकती है परेशानी कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी ने बताया उपचार

सर्दी पाले में गन्ने का अगोला पडने लगा पीला, हरे चारे की हो सकती है परेशानी कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी ने बताया उपचार

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा ।कड़ाके की ठंड और पाले के प्रकोप से गन्ने का अगोला पीला पड़कर सूखने लगा है ,जिससे पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या खड़ी हो चली है। 

अगोले की कमी में पशुपालकों को पशुओं को मजबूरन सूखा भूसा खिलाना पड़ रहा है ,जिससे दूध उत्पादन पर भी असर पडना तय है।बता दें कि,खेकड़ा तहसील क्षेत्र कृषि बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की मुख्य फसल गन्ना और गेहू है। यहां किसान 80 फ़ीसदी से अधिक कृषि भूमि पर गन्ने की फसल उगाता है। गेहूं फसल की बुवाई भी वह गन्ने की कटाई के बाद करता है। सर्दियों के दिनों में पशुओं का हरा चारा गन्ने का अगोला होता है। अगोले के रस से दुधारू पशुओं को कैल्शियम भी मिलता है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है। 

दूसरी ओर पिछले 15 दिन से पड रही कड़ाके की ठंड और पाले ने गन्ने के अगोले पर बड़ा प्रहार किया है। ठंड और पाले से ज्यादातर गन्ने की फसल में अगोला पीला पड़ने के साथ सूख चला है, जिससे हरे चारे की समस्या बन चली है। पशुपालकों को मजबूरन पशुओं को सूखा भूसा खिलाना पड़ रहा है, जिससे 30 से 35 फीसदी  तक दूध उत्पादन भी घट चला है। 

कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी लक्ष्मी कांत का कहना है कि ,ऐसे में ट्राइकोडरमा 2.5 किग्रा और स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 75 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग करें। कहा कि, अगोला पीला पडने की समस्या के संबंध में किसान , कृषि विज्ञान केन्द्र आकर भी जानकारी ले सकते है।