चित्रकूट --श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से होता है जीव का उद्धार - कथा व्यास ।
चित्रकूट: जिला मुख्यालय के एसडीएम कॉलोनी स्थित निरंजन मिश्र के आवास में चल रही श्री मद्भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास बलुआ महाराज ने रुकमणी विवाह और सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। इस दौरान आचार्य ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। साथ ही सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की। साथ ही समाज को समानता का संदेश दिया।
बलुआ महाराज ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन सुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है, लेकिन उसे जीने के बारे में उपस्थित भक्तों को समझाया। कथा व्यास ने श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। उन्होंने बताया कि सुदामा की आर्थिक स्थिति खराब होने पर जब सुदामा की पत्नी ने सुदामा से कहा कि जाकर अपने मित्र से मिलकर सहायता लें। सुदामा ने पहले इंकार कर दिया परंतु पत्नी के बार-बार कहने के कारण सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने के लिए पैदल चल दिए तथा मन ही मन विचार करते रहे कि जो स्वयं दूसरों का माखन चुरा कर खाता था वह क्या मदद करेगा। कथा व्यास ने श्रीकृष्ण-सुदामा का मिलन, श्री कृष्ण द्वारा सुदामा के पैर धोना, सुदामा का स्वास्थ्यगत, सुदामा की पत्नी द्वारा भेजे गए चावलों को बड़े प्रेम से श्री कृष्ण द्वारा खाना, सुदामा को सब कुछ समर्पित कर देना इसका वर्णन बहुत मार्मिक ढंग से किया।
इस मौके पर मुख्य यजमान रामसूरत पयासी, सावित्री देवी, राधेरमण पयासी, निरंजन मिश्र, प्रशांत कुमार द्विवेदी, प्रभाकर द्विवेदी, सत्य प्रकाश द्विवेदी, लवकुश पयासी, सतरूपा देवी, अनीता द्विवेदी, साधना मिश्रा आदि मौजूद रहे।