भलाइयों, नेकियों व बरकतों का महीना है रमजान

भलाइयों, नेकियों व बरकतों का महीना है रमजान
भलाइयों, नेकियों व बरकतों का महीना है रमजान
भलाइयों, नेकियों व बरकतों का महीना है रमजान

बेहट (सहारनपुर) कस्बे  की शाही जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना राशिद जमाल कासमी ने माह- ए- रमजान के बारे मे बयान करते हुए कहा कि आसमान में रमजान माह का चांद दिखाई देते ही भलाइयों, नेकियों व बरकतों के माह - ए - रमजान की शुरूआत हो जाती है उनका कहना  है कि इस माह के में हर बालिग पुरूष - महिलाओं पर रमजान माह के रोजे फर्ज है दो दिन बाद से शुरू हो रहे माह - ए - रमजान की इबादतों का सबाव भी अल्लाह ने दूसरे महीनों से ज्यादा देने का वायदा किया हुआ है रमजान में कुरान की तिलावत, नमाज की अदायगी, एतेकाफ, फितरा देना, इफ़्तार और सहरी की तैयारियां आम होती है


 "कलाम पाक की तिलावत का भी खास महीना"
 बेहट। माहे रमजान में ज्यादा से ज्यादा कलाम पाक की तिलावत करने की हिदायत है। शाही इमाम ने बताया कि कलाम पाक की तिलावत करते वक्त इसांन को यह  तसव्वुर करना चाहिए कि  अल्लाह उससे हमकलाम हो रहे हैं। 


 "आधे पेट रहें"
 बेहट। मौलाना राशिद जमाल कासमी कहते है कि सादगी से रोजा इफ़्तार करे कयोंकि रमजान में खर्च पहले से दो गुना हो जाता है। रोजे का असल मकसद  अच्छे पकवान खाना नहीं बल्कि, आधे पेट सादगी के साथ खाकर अल्लाह को याद रखना है। रमजान माह में अल्लाह रब्बुल इज्जत ने 21, 23, 25, 27, व 29 और चांद रात की रात में विशेष इबादत करने का बड़ा सवाब है। इसलिए इन रातों में इबादत करनी चाहिए। रमजान माह में फर्ज  नमाज की अदायगी का बेहतरीन अहतमाम किया जा सकता है। पांच वक्त की नमाज वक्त पर अदा करने से एक -एक नमाज का कम से कम 30 गुना ज्यादा सवाब मिलता है।

"पहले से कर लें ईद की तैयारियां"
बेहट। ईद - उल - फितर की तैयारियां भी रमजान मुबारक के आने के साथ शुरू हो जाती है यदि हम ईद की तैयारियां पहले ही कर ले तो रमजान के कीमती वक्त मे  ज्यादा से ज्यादा इबादत हो सकेगी वरना चांद रात को हम जरूरी सामान की खरीदारी मे ही अपना वक्त लगा लेंगे और इबादत से महरूम  रह जाएंगे शाही इमाम मौलाना राशिद जमाल कासमी का कहना है कि ईद के मौके पर नए कपड़े बनाना हमारा हक है यदि हम इस दौरान गरीब व बेसहारा लोगों की मदद कर उनके लिए भी इसी तरह कपड़े आदि इंतजाम कर सके तो जरूरतमंद की मदद भी हो जाएगी और हमें इसका सवाब भी मिलेगा।


 "एतकाफ का बड़ा सवाब" 
 बेहट। मौलाना राशिद जमाल कासमी ने कहा कि एतकाफ में बैठकर दुनिया की  फिक्र छोड़कर अल्लाह का जिक्र करने पर बड़ा सवाब मिलता है इस दौरान अपनी जिंदगी मे किए गए कारगुजारियों के बारे में सोच अपने गुनाहों की  ज्यादा तलाफी करनी चाहिए।