आओ सभी सम्मानित साथियो को आज मैं महिलाओ कि गुलामी कि कहानी बताता हूँ।

वैसे तो महिलाओ को अभी पितृसत्तातमकता सोच ने गुलाम बना कर रखा हुआ है। जिसे महिलाओ ने भी खुशी खुशी अपना रखा है। और जो नही अपनाती उन पर जबर्दस्ती थोप दि जाती है। महिलाओ के श्रृंगार, सिन्दूर और आभूषणो कि कहानी शुरू होती है लगभग सन 3500 वर्ष पहले जब मध्य एशिया से आये आर्यो के साथ। जो आये थे सिंधु नदी से होते हुऐ पंजाब और गुजरात रास्तो से।
वे आये और उन्होंने देखा यहाँ भारत के मूलनिवासी सीधे साधे लोग है, जिन्होंने यहाँ आकर मदद मांगी कि हमारे देश (प्रान्त) मे अकाल पड गया हमारी खाने पीने और रोजगार से मदद कीजिये। भारतवासी ने भोली परवर्ती के कारण उनके सडयंत्र को ना समझा और उन्हें पन्हा(आश्रा) दिया।
जब आर्यो का पंजा पूरी तरहा जम गया फ़िर इन्होने यहाँ कब्ज़ा काबिज़ करने के सडयंत्र बनाने लगे। और उन्ही सडयंत्रो मे इन्होने यहाँ के लोगो को मरना शुरू कर दिया क्योंकि भारत के राजाओं मे आपसी फूट रहती थी। जिसका फायदा इन्होने भरपूर उठाया। दुनियाँ जानती है लड़ाई मे हारे और मरे हुऐ लोगो कि सम्पति और औरतो पर कब्ज़ा कर लेते है। उसी तरह इन्होने भी मारपीट शुरू करदी भारतीय राजाओं को एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर उनके साथ मिलकर भारतीयो को मारा। और उनकी औरतो को कब्ज़ा करना शुरू कर दिया। इनकी गुलामी कि असली कहानी अब शुरू होती है। जब भारतीय महिलाओ ने इनसे बचने कि कोशिस करी,भागने कि कोशिस करी या भाग निकलती थी। तब इन्होने अपने पास बंधे हुऐ घोड़ो को देखा कि इनको हमने कैसे कब्ज़ाया हुआ है या कैसे अपने नियंत्रण मे किया हुआ। क्योंकि घोड़े भारतीय मूल के नही है इनको ये अपने साथ लेकर आये थे। अब इन्होने घोड़ो नाक मे पड़ी नकेल (नाल) कि तरफ देखा तो इन्हे समझ आया के इनके साथ भी यही किया जाये। बस फ़िर क्या था इनकी महिलाओ कि नाक चीर चीर इनको बंदी बना लिया क्योंकि ऐसा होने पर अगर भागे तो नाक कान चिरते तो बहुत पीड़ा, दर्द होता था जिसकी वजह से भाग नही पायी। और इनके आदमियों को मार के उनके खून से औरतो के माथे पर तिलक लगा कर कहा, आज के बाद तुम हमारी गुलाम हो। जो कि आज भी औरत लाल बिंदी और सिन्दूर के रूप मे लगाती आ रही है। जिसे आज अपने पति कि लम्बी उम्र के लिये लगाती है। लम्बी उम्र कुछ नही होती दिमाग़ के भ्रम होता है। सबको पता है फ़िर भी जान बूझकर अंधे बने हुऐ है मनुष्य कि औसत आयु 60...70 वर्ष होती है। जो एक प्रोसेस के चलते बूढ़े होकर मरते है। आगे चलो फ़िर लड़ाई इनमे इस बात कि हो गयी कि ये हमारी महिला है ये हमारी महिला है ये हमने लड़ाई मे जीती है। बस फ़िर अलग अलग काबिले या समुदाय के लोग महिलाओ के अलग अलग अंगों मे बेड़िया डाल कर बंदी बनाने लगे जैसे किसी के पैर मे किसी के हाथ मे कान मे, गले मे, उंगलियों मे, पैरो कि उंगलियों मे। जो औरत आसानी से नही मानती थी उनको फ़िर मारा पीटा जाता था, बदन पर चोट पहुंचाई जाती थी। फ़िर उसे ठीक करने के लिये पूरे बदन पर हल्दी तेल लगाया जाता था। क्योंकि ये बात भी सब जानते है पहले इतनी अच्छी डॉक्टरी नही थी तो हल्दी से ही चोट को ठीक किया जाता था, और आज भी किसी गुम चोट पर हल्दी तेल का लेप लगाया जाता है। जैसे कि आज भी सादी से पहले बान के समय दूल्हा दुल्हन को हल्दी तेल लगाया जाता है। आगे चलो फ़िर जो बेड़िया पहनाई थी वे आगे चलकर धीरे धीरे फ़िर लोहे के बड़े बड़े कड़ो मे बदल गई फ़िर उसके बाद ताम्बे के कड़ो मे, फ़िर चांदी के कड़ो मे और आज उन्होंने जुवेलरी का रूप ले लिया जैसे पाँव कि पाज़ेब, सैम्पील हाथ कि चूड़ी और हथफूल, गले का हार, नाक कि नथनी, कानो कि बाली (कुण्डल )
जिसे आज कि भारतीय महिलाओ ने सुंदरता कि दृष्टि से इसे अपनी पहचान मान लिया है। और बड़ी ख़ुश होती है अपनी गुलामी को ढोती हुई।
जिसे बाद मे आकर या कहे आधुनिक समय मे बनिया.. ब्राह्मण वर्ग ने अपने कारोबार चलाने के लिये आज इनको फैशन का नाम दे दिया और sc, st, obc वालो को लूटा जा रहा है।
चलो अब एक वैज्ञानिक दृष्टि विज्ञान कहता है आप जब किसी काम को निरंतर करते हो एक विशेष वातावरण मे रहकर तो शरीर मे एक लम्बे समय या हमेशा के लिये बदलाव आ जाता है। जो कि विकासवाद का सिद्धांत है तर्क.. जब कई सौ वर्षो से भारतीय औरत नाक कान छिदवाती आ रही है तो अब तक होने वाले बच्चों( लड़कियों )मे जन्म से ही नाक कान छिदे हुऐ आने चाहिए थे। पर ऐसा इस लिये नही है क्यों कि आज तक ये चीज इनके जींस मे नही आयी, क्योंकि ये काम बच्चियों के साथ जबरदस्ती कराया जाता है।
मेरे कुछ प्रश्न..
प्रश्न no..1 पूरी दुनियाँ मे ऐसा हारसिंगार कहीं भी क्यों नही है।
प्रश्न no.. 2 आदमियों को ये सब चीज क्यों नही पहनाई जाती। क्यों आदमी कि नाक कान नही फोड़े जाते।
प्रश्न no..3 पूरी दुनियाँ मे जब सादी होती है उससे पहले कहीं किसी को बान नही लगते ना किसी को हल्दी तेल लगते। क्यों
प्रश्न no..4 क्या औरत ही अपने पतियो कि लम्बी उम्र के लिये ये सब करेगी आदमी नही करेंगे।
क्योंकि पति नाम का अर्थ है पतन करने वाला या किसी से गुलामी करवाने वाला, सताने वाला।
पत्नी जिसका पतन हो रहा है।
सवाल तो बहुत है मेरे पास।
अब महिलाओ कि गुलामी दो तरीके से चल रही है पहले पूरे परिवार और समाज पर ब्राह्मण,वश्य वर्ग ने कि हुई है, दूसरी परिवार मे पितृसत्तात्मक सोच के कारण अपने आदमी कि और समाज कि लोक लिहाज से बाकी पुरषो कि गुलाम बानी हुई है।