भगवान श्रीकृष्ण की लीला मुक्ति प्रदान करने वाली है- डाॅ रामानन्द महराज।
मेरा छोड़ दो दुपट्टा नंदलाल, सबेरे दही लेकर आऊंगी।
उधौ मेरे मन न भये दस बीस....
भदोही। जंगीगंज क्षेत्र के जगापुर पड़ान में,आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में कथावाचक डाॅ रामानन्द त्रिपाठी ने बताया कि भक्ति में कोई वाद नही होनी चाहिए। लोगों को देश के नेताओं से सीख लेनी चाहिए जो राजनीति में विरोधी रहते है लेकिन फिर भी सब एक ही रहते है। वैसे ही भक्ति करने वालों को भी होना चाहिए चाहे आप राम की पूजा करे, चाहे कृष्ण की पूजा करें, चाहे मां दुर्गा या अन्य कई लेकिन इसको लेकर आपसी विवाद व मनमुटाव नही होना चाहिए क्योकि सभी लोगों का उद्देश्य भागवतप्राप्ति ही है। महराज ने कहा कि जो लोग गोपियों के बारे में अनाप सनाप कहते है सच में वे लोग गोपियों और भगवान श्रीकृष्ण के बारे में नही जानते है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की शिक्षा गोपियों से लेनी चाहिए। मानसिक रूप से काम को जीतने की कला गोपियों से लेनी चाहिए क्योकि गोपियों के नृत्य में काम नही बल्कि भक्ति और समर्पण था। गोपी स्त्री नही बल्कि वह आत्मा है। गोपी वह है जिसके पास एक ही मन है। जबकि मनुष्य में कई मन होता है। गोपी वह है जो अपने सभी इन्दियों की वासना को पी लिया हो वह गोपी होती है। महराज ने कहा कि वैराग्य वह है जो देखने पर भी उसकी कोई लालसा न हो, जो मानसिक त्याग कहा जाता है। सच्चे भक्त को गोपियों की भक्ति भाव से सीख लेनी चाहिए। गोपियों की भक्ति दर्शन प्रधान भक्ति है। महराज ने बताया भगवान श्रीकृष्ण 6 वर्ष से लेकर 11 वर्ष 58 दिन तक अस्त्र शस्त्र नही उठाया। इस दौरान भगवान ने कई असुरों का वध किया। महराज ने बताया कि गुरूकुल का पढा हुआ विद्यार्थी अपने आप समय में आ जाता है। अहिंसा परमो धर्म का मतलब यह नही होता कि हम अपने ऊपर अत्याचार को यूं ही मानते रहे। बल्कि अपने धर्म की रक्षा करना सभी का कर्त्तव्य है। जरूरत पडने पर शस्त्र और शास्त्र उठाना उचित है। माया की निवृत्ति ही मटकी फोड़ने की क्रिया संदेश है। भगवान केवल उन्ही का माखन चुराते थे जो भगवान श्रीकृष्ण के रोकने के बावजूद भी माखन बेचने जाती थी। क्योकि भगवान लोगों को ब्रज में रोकने का प्रयास करते थे। भगवान केवल भक्तों का माखन रूपी मन चुराते है। महराज ने व्यवसाय के बारे में कहा कि हर समय में व्यवसाय पूंजीपतियों के हाथ में रही है। इस मौके पर माता शंकर पाण्डेय, जयप्रकाश, घनश्याम शुक्ला, रविशंकर पाण्डेय, शिवम पाण्डेय, रविशंकर, सोनू पाण्डेय, ओमप्रकाश समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।