83 पीएचडी धारकों और 44 स्वर्ण पदक विजेताओं को राज्यपाल ने किया सम्मानित

83 पीएचडी धारकों और 44 स्वर्ण पदक विजेताओं को राज्यपाल ने किया सम्मानित

 जनजाति समाज को सारे कानूनी अधिकार देकर सशक्त बनाएंगे - राज्यपाल

चित्रकूट: महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विष्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मध्य प्रदेष के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने शुक्रवार को छात्र-छात्राओं को उपाधि और मेडल प्रदान की। इस दौरान उन्होंने 83 पीएचडी धारकों एवं 44 स्वर्ण पदक विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। इसके पूर्व दीनदयाल शोध संस्थान एवं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में जनजातीय समुदायों के उत्थान एवं सशक्तीकरण के लिए आयोजित थिंक-एंड-डू टैंक राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन शुक्रवार को राज्यपाल मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में आरोग्यधाम चित्रकूट के सभागार में किया गया। कार्यशाला में सतना जिले के प्रभारी मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह उपस्थित रहे।

  कार्यशाला में देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों ने बताया कि आदिवासी समाज की स्थिति में निरंतर परिवर्तन आ रहा है। शिक्षा केंद्र खोले जा रहे हैं, जिससे अधिक-से-अधिक लोग शिक्षित होकर अपनी स्थिति में परिवर्तन कर रहे हैं। यातायात के साधन, संचार व डाक व्यवस्था में सुधार आया है, परन्तु आर्थिक और तकनीकी पिछड़ापन के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ और गैर-आदिवासी आबादी को साथ आत्मसात करने की समस्या के कारण अभी भी विकास की मुख्यधारा में नही जुड़ पा रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि जितने जंगल आज बचें हैं शायद उसका कारण हमारे वनवासी बन्धु भगिनी ही हैं क्योंकि ये वहाँ रहते हैं और उसका संरक्षण व सम्वर्धन करते है ये उनके आर्थिक स्रोत के संसाधन हैं। जितना विस्थापन इस समाज का हुआ है शायद उतनी सुविधाएं उन्हें हम आज भी प्रदान नही कर पाए हैं। इस पर हम सभी को सामूहिक प्रयास कर उन्हें राष्ट्र और समाज की मुख्यधारा से जोड़ना होगा।

  दो दिन चली इस राष्ट्रीय कार्यशाला में जनजातीय समुदायों के लाभ के लिए नीतियों और कानूनों के बीच संबंध और जमीन पर इसके वास्तविक कार्यान्वयन पर चर्चा के साथ ही वन अधिकार अधिनियम 2006, जनजातीय समुदायों के आजीविका एवं स्वास्थ्य के बारे में चर्चा हुई। चर्चा उपरांत एक घोषणा पत्र पर जारी किया गया। जिसमें पैसा एवं वन अधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं के लिए सुझाव दिए गए हैं।

कार्यशाला में सतना जिले के प्रभारी एवं वन मंत्री कुँअर विजय शाह की उपस्थिति में यह सहमति बनी कि इस कानून को कानून के रूप में ही शत-प्रतिशत लागू करेंगे, उनके परंपरागत गांव में ही उनको सामुदायिक वनों के प्रबंधन का अधिकार देते हुए कृषि विज्ञान की धरती पर वन विज्ञान केंद्रों का निर्माण करते हुए ग्राम सभाओं को सक्षम बनाएंगे।

पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग मध्यप्रदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव ने कहा कि परंपरागत पाराटोला को ग्राम सभा घोषित करते हुए उनके समृद्धि करण के लिए मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे। इसमें जनजाति क्षेत्र के स्वास्थ्य को लेकर गहन चर्चा हुई, स्किल सेल एनीमिया जैसी बीमारी का समय बद्ध स्क्रीनिंग करते हुए गांव के परंपरागत वैद्य , वैगा के साथ मिलकर व्यापक जन जागरूकता के लिए प्रयास किया जाएगा।

राज्यपाल ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समाज के लिए सभी को मन से कार्य करने की आवश्यकता है, जो अपने बंधु भगिनी बीहड में निवास करते हैं उन्हें सारे कानूनी अधिकार देकर स्वावलंबी तथा स्वाभिमानी बनाकर सशक्त बनाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वन विभाग, राजस्व विभाग, जनजाति विभाग, ग्रामीण विकास विभाग मिलकर इस विषय को आगे बढ़ाएंगे और जहां पर भी आपको आवश्यकता होगी।

कार्यक्रम में सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने किया। समापन सत्र में राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी एवं महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्र, बसन्त पंडित कोषाध्यक्ष दीनदयाल शोध संस्थान, दीपक खांडेकर डायरेक्टर ट्राइबल सेल, गिरीष कुबेर वनवासी कल्याण आश्रम, सुभाष बडोले सह क्षेत्र संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम, विमल शाह मानसी विकास संस्थान उपस्थित रहे।