सर्दी का सितम पड़ते पाले और शीत लहर का कोहराम घरों में कैद हुए लोग बाजार हुए सुनसान।

सर्दी का सितम पड़ते पाले और शीत लहर का कोहराम घरों में कैद हुए लोग बाजार हुए सुनसान।

इसरार अंसारी
  मवाना। जनवरी माह शुरू होने से पहले ही शीतलहर और कोहरे से बढ़ी ठंड ने जमकर अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं जिसके चलते घरों में ही नहीं व्यापारी भी अलाव के सहारे दिन गुजारने को मजबूर है। बता दें कि दिसंबर और जनवरी सर्दी के मुख्य माह माने जाते हैं और दिसंबर एवं जनवरी में सर्दी का सितम स्वाभाविक है। प्रकृति की लीला के आगे किसी का बस नहीं चलता केवल इंसान बचाव के लिए सुख सुविधाओं का प्रबंध कर सकता है। वही खेती-बाड़ी करने वाले कुछ किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह प्रकृति का नियम है क्योंकि किसान गन्ना काटकर गेहूं की फसल उगाता है और गेहूं की फसल पाले से ही पनपती है हर एक फसल का एक अपना महत्व है जिस प्रकार धान की फसल पानी में पनपती है इसी प्रकार गेहूं की फसल सर्दी और पाले से पनपती है। हाड़ कपपाने वाली सर्दी के सितम के चलते शुक्रवार को शीत लहर तथा पड़ते पाले ने लोगों का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। जहां सुबह से शाम तक लोग कड़ाके की ठंड से जूझते रहे तो वही सूर्य देवता पूरे दिन आंख मिचोली खेलते रहे कभी घटाओं का साया सूर्य देवता को ढक लेता तो कभी सूर्य देवता घटा पर विजय पाकर झलक दिखला देते। पूरे दिन यही आंख मिचौली चलती रही शीत लहर और घने कोहरे के चलते जहां लोग घरों में कैद रहे तो वही व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों पर ही अलाव जलाकर दिन बिताया व्यापारी विजय सबलोक ने बताया कि कड़ाके की ठंड के चलते काम धंधे भी मंदे हो गए हैं क्योंकि ठंड के कारण गांव देहात से लोग नगर में नहीं पहुंच रहे हैं जिस कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। और व्यापारियों को अलाव के सहारे दिन बिताना पड़ रहा है। हालांकि सर्दी से बचाव के लिए नगर के अधिकतर स्थानों पर पालिका द्वारा भी अलाव जलवाए जा रहे हैं जिसका लाभ उठाकर आने जाने वाले राहगीर एवं मेहनत मजदूरी करने वाले रिक्शा चालक तथा चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी सर्दी से बचने के लिए पालिका द्वारा जलवाए जा रहे अलाव का सहारा ले रहे हैं।