वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं-शिवकांत शुक्ला

वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं-शिवकांत शुक्ला

हमारे बच्चे हमारा भविष्य हैं इनका सर्वांगीण विकास हमारी प्राथमिकता..

पारिवारिक प्रगाढ़ता से मानसिक एकाकीपन और साइबर अपराधों पर भी अंकुश लगेगा..!

रिपोर्ट-प्रदीप दूबे विक्की

औराई भदोही। औराई विकास खंड क्षेत्र के भवानीपुर गांव निवासी पूर्व प्रधान व वरिष्ठ समाजसेवी शिवकांत शुक्ला ने मुलाकात के दौरान बच्चों के भविष्य को संवारने के बारे में चर्चा के दौरान कहा कि जितना समय हम आभासी दुनिया में बिता रहे हैं उतना ही वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं! देखी गई चीजें मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं और अगर उनको समझने की परिपक्वता न हो तो इसका परिणाम अच्छा नहीं निकलता आभासी को सच और सच को महत्त्वहीन मानने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है! आजकल बच्चों पर पढ़ाई का बहुत दबाव है तकनीक के जरिए उनकी समस्याओं का समाधान करना सरल हुआ है यहां तक तो ठीक भी है! कुछ सीमा तक मनोरंजन के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।पारिवारिक और सामाजिक संबंधों की मजबूती के लिए आपसी बातचीत भी जरूरी है कोविड के समय सोशल मीडिया ने निस्संदेह सकारात्मक भूमिका निभाई इससे अनेक विषयों पर बच्चों को नई जानकारियां भी प्राप्त होती हैं बच्चों की सोच को एक नया आयाम मिलता है! उनकी संप्रेषण क्षमता का विकास भी इसके माध्यम से होता है मगर ये लाभ तभी संभव हैं जब इसका उपयोग सीमित मात्रा में आवश्यकतानुसार किया जाए!बच्चे भावनात्मक रूप से अत्यंत संवेदनशील होते हैं इसलिए सोशल मीडिया पर अगर उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री पर नियंत्रण सही ढंग से न किया जाए तो यह माध्यम उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है! सोशल मीडिया पर आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी सक्रिय हैं चूंकि यहां अपनी पहचान छिपाना या छद्म पहचान से सक्रिय होना सरल है और इसके लिए अभी कोई प्रभावी कानून नहीं है इस लिए इसका लाभ उठा कर ऐसे अराजक तत्व बच्चों को कई तरह से हानि पहुंचा सकते हैं!समस्या में ही उसका समाधान भी निहित होता है यह ठीक है कि इंटरनेट का उपयोग करना आजकल अनिवार्य है सारी दुनिया की जानकारी और सूचनाएं एक स्पर्श पर प्राप्त की जा सकती हैं पर आभासी दुनिया और वास्तविक दुनिया का अंतर सदा रहेगा हमारे बच्चे हमारा भविष्य हैं इनका सर्वांगीण विकास हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए व्यस्तता के बावजूद प्रत्येक मात-पिता अभिभावक का दायित्व है कि व अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करें उनकी समस्याएं सुनें और उनकी कठिनाइयों का निराकरण करें कम से कम एक समय का भोजन साथ करें और उस समय सभी लोग फोन आदि का उपयोग न करें जितना आपसी संवाद बेहतर होगा उतना ही वाह्य प्रभाव कम पड़ेगा अगर पारिवारिक संबंध प्रगाढ़ होंगे तो बच्चे अपनी समस्याएं भी सहजता से अभिभावकों के साथ बांट सकेंगे पारिवारिक प्रगाढ़ता से मानसिक एकाकीपन और साइबर अपराधों पर भी अंकुश लगेगा जो हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा गुणात्मक और सकारात्मक परिवर्तन होगा।