श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ का दुसरा दिन

कैराना। मानव चेतना केंद्र आश्रम में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ एवं शतचंडी महायज्ञ के आयोजन के दुसरे दिन की कथा में महिला पुरुषों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी।
क्षेत्र के ऊंचागांव में स्थित मानव चेतना केंद्र आश्रम में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ एवं शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। दुसरे दिन की कथा में कथा व्यास स्वामी विशुद्धानंद महाराज के परम शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरुपानंद ने अपनी अमृत मय वाणी से मां भगवती की कथा का रसास्वादन कराते हुए कहा कि हे मुने ! ब्रह्महत्या अदि समस्त पाप भी तभी तक मनुष्य को ग्रस्त किए रहते हैं, जब तक भगवती का चरित्र उसके कान में पड़ नहीं जाता है. यदि सैकड़ों पाप किया हुआ मनुष्य भी इस दुर्गा चरित्र का श्रवण करता है तो उसे देखकर यमराज भी अपना दण्ड छोड़कर उसके चरणों पर गिर पड़ते हैं।
मुने ! उन भगवती के अतुलनीय माहात्म्य को बता सकने में भला कौन समर्थ है? जिस माहात्म्य का अपने पाँच मुखों से भगवान शंकर भी वर्णन नहीं कर सके हैं।।15।। वाराणसी क्षेत्र में भगवान शिव स्वयं उन भगवती का ही ब्रह्मसंज्ञक तारक महामन्त्र जो गुरुकृपा से मुझे प्राप्त हुआ, उसे तत्परतापूर्वक आकर मुमुक्षुजनों के कान में कहते हुए उन्हें निर्वाण नामक महामोक्षपद प्रदान करते हैं. ब्रह्मर्षि जैमिनि ! मोक्ष तथा निर्वाणपद प्रदान करने वाली वे भगवती सभी मन्त्रों की एकमात्र बीजस्वरुपिणी हैं. महामते ! सभी वेद मोक्ष प्रदान करने वाली उन भगवती को वहाँ के समस्त मन्त्रों की अधिष्ठात्री देवता कहते हैं ।
श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की कथा श्रवण करने हेतु सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुषों ने भाग लिया व कथा सुन जीवन धन्य किया