चित्रकूट-नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचने पर क्षेत्रवासियों ने जताई प्रसन्नता।

चित्रकूट-नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचने पर क्षेत्रवासियों ने जताई प्रसन्नता।

चित्रकूट: साढ़े तीन दशक से सिंचाई के लिए पानी न मिलने से दर्जनों गांवों के मायूस किसानों के लिए सिंचाई विभाग खुशी का पल लेकर आया है। सिंचाई निर्माण खंड प्रथम के अधिशाषी अभियंता आशुतोष कुमार के मार्गदर्शन में सहायक अभियंता गुरु प्रसाद ने कई वर्षों से विलुप्त पड़ी नहर को दुरुस्त कराकर अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। जिसके बाद से क्षेत्र के किसानों ने शासन और विभागीय अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए खुशी जताई है। 

   सिंचाई निर्माण खंड प्रथम के अधिशाषी अभियंता आशुतोष कुमार ने बताया कि पयश्वनी नहर प्रणाली का निर्माण वर्ष 1976 में बनकट बंधवइन के पास पयश्वनी नदी पर वियर बना कर कार्य किया गया था। इससे लगभग 23 ग्राम सभा के किसानों को पानी मिलता है। मुख्य नहर के लगभग 10 किमी काफी गहरी व कटिंग में होने के कारण 18 से 20 किमी ही पानी पहुंचता था। 20 किमी के बाद पानी न जाने से नहर पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी थी। साथ ही बहुत ज्यादा अतिक्रमण भी हो चुका था और किसान खेत बना लिए थे। 

पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया था बजट

  अधिशाषी अभियंता ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा सिल्ट सफाई का पैसा न देने के चलते यह नहर अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई थी, लेकिन अब वर्तमान सरकार द्वारा सिल्ट सफाई का बजट हर वर्ष दिया जा रहा है। जिससे सिल्ट सफाई के पैसे से विलुप्त नहर को पुनः खुदाई कर पानी जाने योग्य बनाया गया है। साथ ही अतिक्रमण भी हटाया गया।

विलुप्त नहर हुई जीवित

   सहायक अभियंता गुरु प्रसाद ने बताया कि विलुप्त नहर को जीवित कर 26.400 किमी अंतिम छोर तक पानी किसानों को दिया जा रहा है। सिल्ट सफाई द्वारा 6 किमी विलुप्त नहर को पुनः खुदाई कर 35 साल बाद किसानों को अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया गया है। 

लाभान्वित क्षेत्रीय किसानों ने जताई प्रसन्नता

   पयश्वनी मुख्य नहर का पानी 35 साल बाद टेल तक पहुंचाने से लोहदा, अरछाबरेठी, रघुबंशीपुर, कलवारा खुर्द तथा कलावरा बुजुर्ग के किसानों के चेहरे खिल उठे। किसान रुद्रपाल व नर्मदा, सूबेदार वर्मा ने बताए कि यहां सिंचाई बहुत ही मंहगी है। बोर से एक बीघा सिंचाई का 300 से 350 रुपए एक बार का देना होता है। इस प्रकार 4 से 5 पानी देने पर 1200 से 1500 रुपए प्रति बीघा खर्च आता है, जो गरीब किसानों पर बड़ा बोझ था, लेकिन अब नहर का पानी मिल जाने से खर्च कम फायदा ज्यादा होगा। किसानों ने बताया कि यह पानी हम सबको 35 साल बाद मिल रहा है। किसानों ने मुख्यमंत्री तथा सिंचाई मंत्री को धन्यवाद दिया तथा अधिकारी और कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त किया।