जनपद में दीपावली त्यौहार से पूर्व मिलावटी मिठाई व मावा बेचने वालों की बल्ले-बल्ले।
रायबरेली। दीवाली का त्योहार मिठाई के बिना अधूरा है। जिले में दिवाली पर मिठाई की डिमांड 80 गुना तक बढ़ जाती है। ऐसे में मुनाफाखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। और मिलावटी मिठाइयों की जमकर बिक्री की जाती है। रंग-बिरंगी सिंथेटिक दूध से बनीं मिठाइयां आम आदमी की सेहत को खराब कर देती हैं त्यौहार आते ही मिठाई के दुकानदारों की बल्ले बल्ले हो जाती है ।सोमवार को दीपावली का त्यौहार है ऐसे में समस्त जनपद में मिलावटी मिठाइयों का धंधा चरम पर है बाहर से मिलावटी मिठाई की आमद के साथ ही घटिया खोए का भी व्यापार चरम पर होता है। ज्यादातर कई ऐसे प्रतिष्ठित स्वीट हाउस हैं जहां पर मिलावटी खोया व नकली मिठाई की बिक्री बेहिचक की जाती है। जो आम जनमानस के स्वास्थ्य पर सीधा प्रहार है। इस पर न स्थानीय प्रशासन और न ही खाद्य विभाग की टीम ध्यान दे पाती है। जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है और विक्रेता खुले आम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं। सूत्रों के अनुसार दूध की कमी और अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में मावा बनाने के लिए दूध की बजाय दूध पाउडर, रसायन, उबले आलू, शकरकंदी, रिफाइंड तेल का प्रयोग किया जाता है। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में डिटर्जेंट पाउडर, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड और एसेंट पाउडर डालकर दूध बनाया जाता है। हाल में ही जिले में सिंथेटिक दूध बनाने के कई मामले पकड़े भी गए हैं। अभी पिछले साल ही बछरावां क्षेत्र में लगभग तीन सौ बाल्टी मिलाई छेना पकड़ा गया जिसको पुलिस व जांच अधिकारियों ने नष्ट कराया था।देखना होगा खाद्य विभाग के अधिकारी जांच कर कार्यवाही करते हैं या खाओ कमाओ नीति के चलते जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होगी।