पराली जलाने वाले किसानों को शासन की योजनाओं से वंचित कर दिया जायेगा।
रायबरेली
जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने कहा कि किसान धान कटाई के बाद या किसी भी फसल की कटाई के बाद उसका फसल अवशेष न जलायंे, फसल अवशेष को खाद बनाने का कार्य करें या गौशाला को दान के रूप में या पराली के बदले गोबर की खाद प्राप्त करें। जिलाधिकारी ने कहा कि पराली जलाने वाले किसी भी व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्रवाही व दण्डात्मक कार्रवाही सुनिश्चित की जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी अवगत है कि पराली जलाने की घटना का सेटेलाईट के माध्यम से तत्काल संज्ञान ले लिया जाता है इसलिए इस प्रकार के किसी भी कार्य से बचने की आवश्यकता है।
उप कृषि निदेशक हरी नारायण सिंह ने कहा है कि किसी भी स्थिति में फसल अवशेष न जलाये, फसल अवशेष जलाने पर कड़ी कार्यवाही निर्धारित की जा रही है, जिसमें तहसील लालगंज, एवं सलोन के किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने पर रुपये 2500 आर्थिक दण्ड की वसूली की गई है, इसके साथ ही सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य सुविधाओं से भी वंचित करने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि कोई किसान या कोई व्यक्ति फसल अवशेष जलाता है तो आर्थिक दण्ड एवं विधिक कार्यवाही के साथ ही उनको दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं को समाप्त कर दिया जायेगा। इसके साथ ही किसी भी किसान या व्यक्ति के पास किसी भी तरह का लाइसेंस है चाहे वह खाद, बीज, पेस्टीसाइड या शस्त्र लाइसेंस धारी के रूप में है तो उनके निलम्बन व निरस्त करने की कार्यवाही की जायेगी। क्योकि मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पराली से हो रहे प्रदूषण के लिए काफी नाराजगी व्यक्त की जा रही है।
उप कृषि निदेशक ने कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों को भी निर्देशित किया है कि बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एस0एम0एस0) लगाये यदि धान की कटाई की जाती है तो उनकी कम्बाइन मशीन को सीज कर दिया जायेगा तथा उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही निष्पादित की जायेगी। यदि कोई व्यक्ति पराली जलाता है, तो तत्काल इसकी सूचना सम्बन्धित तहसील के उप जिलाधिकारी या जिला कृषि अधिकारी के मोबाइल नम्बर पर दिया जाये। तहसील उप जिलाधिकारी सदर मो0नं0 9454416627, उप जिलाधिकारी महराजगंज मो0नं0 9454416633, उप जिलाधिकारी सलोन 9454416630, उप जिलाधिकारी लालगंज मो0नं0 9454416628, उप जिलाधिकारी ऊँचाहार 9454416631, उप जिलाधिकारी डलमऊ 9454416629 एवं जिला कृषि अधिकारी रायबरेली मो0नं0 8707462030 है। जिससे दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये।