"जागरूक सशक्त नारी, मनचलों पर पड़ेगी भारी"

"जागरूक सशक्त नारी, मनचलों पर पड़ेगी भारी"

आपरेशन जागृति 2.O के तहत जनपदीय पुलिस द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में चलाया गया ऑपरेशन जागृति अभियान, गोष्ठी आयोजित कर आमजन को किया गया जागरूक।

ब्यूरो रिपोर्ट मिथुन गुप्ता 

एटा। अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन आगरा महोदया श्रीमती अनुपम कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में महिलाओं एवं बालिकाओं के जागरूकता व स्वावलंबन एवं उनके प्रति होने वाले अपराधों में कमी लाने हेतु चलाए जा रहे "ऑपरेशन जागृति 2.0" अभियान के तहत आज दिनांक 29.06.2024 को थाना कोतवाली नगर के संजय नगर कॉलोनी व नगला भजा, थाना कोतवाली देहात के ग्राम सूरजपुर की मडैया व कासिमपुर, थाना बागवाला के ग्राम बरौली तथा बाग़वाला, थाना मारहरा के ग्राम पंचायत धरमसी व ग्राम पंचायत समसपुर, थाना मिरहची के ग्राम सीय व ग्राम ख्वाजगीपुर, थाना पिलुआ के ग्राम पंचायत बरई तथा ग्राम पंचायत सोंगरा, थाना सकीट के ग्राम पंचायत भगवंतपुर  तथा ग्राम भगवंतपुर, थाना मलावन के ग्राम पंचायत आसपुर तथा ग्राम पंचायत अयार, थाना रिजोर के ग्राम पंचायत सिंह व ग्राम पंचायत चिंतापुर, थाना जलेसर ग्राम रसीदपुर तथा रनौसा, थाना अवागढ़ के ग्राम पंचायत वीर नगर व ग्राम पंचायत मीसाकला, थाना निधौली कला के ग्राम खैरारा तथा ग्राम पिपहरा, थाना सकरौली के ग्राम पंचायत बहादुर कासिमपुर तथा पंचायत शाहनगर टिमरूआ, थाना अलीगंज के ग्राम पंचायत बछौरा गंग तथा ग्राम पंचायत अकबरपुर कोर्ट, थाना जैथरा के ग्राम पंचायत पुरसारी तथा ग्राम पंचायत प्रहलादपुर, थाना राजा का रामपुर के ग्राम सिमरई तथा लुहारी खेड़ा, थाना नयागांव के ग्राम पंचायत कलुआटीलपुर तथा ग्राम उभई, थाना जसरथपुर के ग्राम पंचायत पिंजरी गंभीर तथा ग्राम पंचायत उम्मेद में गोष्ठी आयोजित कर, महिलाओं एवं बालिकाओं, छात्र एवं छात्राओं तथा क्षेत्र के गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित कर उनको जागरूक किया गया, साथ ही गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले लोगों से फीडबैक भी लिया गया। अभियान के दौरान बताया गया है अक्सर पारिवारिक विवाद / पारस्परिक भूमि विवाद का यथोचित समाधान नहीं दिखने पर अपराधिक घटनाओं में महिला सम्बन्धी अपराधों को जोड़ने की प्रवृत्ति भी सामाजिक रूप से देखने को मिल रही है। संक्षेप में कई अन्य प्रकरणों में ऐसी घटनायें दर्ज करा दी जाती हैं, जिनको बाद महिला एवं बालिकाओं संबन्धी अपराधों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया जाता है। जबकि मूलतः यह पारिवारिक और भूमि विवाद संबन्धी होती है। दूसरी ओर वास्तविक रूप से महिलाओं एवं बालिकाओं के विरूद्ध जो अपराध होते हैं, उनमें दुष्कर्म, शीलभंग जैसे संगीन मामलों में प्रताड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं की मनोस्थिति काफी हद तक प्रभावित होती है और पीड़िता के जीवन में उस घटना का ट्रॉमा और भय सदैव के लिए बस जाता है। उक्त मानसिक आघात से उभरने के लिए पीड़िता को मनोवैज्ञानिक परामर्श की भी आवश्यकता होती है। एक अन्य प्रकार का ट्रेंड जो सामने आ रहा है, उसमें नाबालिग बालिकाएं लव अफेयर, इलोपमेंट, लिव इन रिलेशनशिप जैसे सेनेरियो में फँस जाती हैं और किन्ही कारणों से उनको समझौता करना पड़ता है। कई बार बालिकायें अपनी सहमति से भी बिना सोचे समझे चली जाती है। साथ ही साथ बदनामी के भय से ऐसा संत्रास झेलना पड़ता है, जिसके कारण वह ऐसी स्थिति से निकलने में अपने आपको अक्षम महसूस करती है। परिवार में आपसी संवादहीनता और अभिभावकों से डर के कारण बालिकाए अपनी बात कह नहीं पाती है। इसके अतिरिक्त आज तकनीक के दुरूपयोग के चलते महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति साइबर बुलिंग के मामले भी सामने आ रहे है। इन सभी परिस्थितियों में सामाजिक जागरूकता, संवाद शिक्षा और परामर्श की बेहद आवश्यकता है ताकि महिलायें एवं बालिकायें इस प्रकार के षड़यंत्रों का शिकार न बने भावनाओं में बहकर अपना जीवन बर्बाद न करें, यदि उनके साथ किसी प्रकार का अपराध घटित होता है तो वह सच बोलने की हिम्मत रख पाये और विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उनको परामर्श/सहयोग और पुनर्वास का मौका मिल सके।