उफनाती यमुना में हथिनी कुंड बैराज से फिर छोडा गया दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी

उफनाती यमुना में हथिनी कुंड बैराज से फिर छोडा गया दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी

••किसानों की फसलें हुई जलमग्न, जमीन का कटाव जारी

••गाँव जागोस को तीन तरफ के खेतों में ठहरा यमुना जल

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत | यमुना के निकट बसे गाँव जागोस , शबगा व कोताना आदि वैसे तो सुरक्षित हैं किंतु बढते जलस्तर से हजारों किसानों की मेहनत और उम्मीद पर पानी फिर गया है | इसबीच सुबह करीब पांच बजे हथिनी कुंड बैराज से दो लाख सात हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोडे जाने की आधिकारिक सूचना आने से यमुना और भी अधिक खेतों में खडी फसलों को अपने आगोश में ले लेगी, जिससे किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं |

ग्राम जागोस में ग्राम प्रधान पति ने बताया कि, उनके गाँव के तीन तरफ यमुना ने खेतों में खडी फसलों को चोपट कर दिया है | गरीब सब्जी उत्पादकों ने बडे भूभाग में लोकी, करेला, मिर्ची, धनिया, खीरा आदि लगाई हुई थी, लेकिन अब बचत तो दूर लागत भी डूब गई है | पं सुरेश शर्मा ने बताया कि, जागोस गांव को यमुना ने तीन तरफ से घेर लिया है | गाँव के उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तरी भूभाग के कम से कम डेढ हजार बीघा फसलों में यमुना की तबाही का मंजर देखा जा सकता है | कोताना - जागोस मार्ग से एक - दो खेत ही यमुना की दूरी बनी है, वह भी दो लाख क्यूसेक पानी के छोडे जाने से सडक को पार करने का अंदाज़ा किसान लगा रहे हैं |

शबगा के किसान श्रीपाल जगदीश आदि ने बताया कि, उनके गाँव के निकट बह रही यमुना नदी में आए उफान से फिलहाल गाँव तो सुरक्षित है, किंतु तेज धार के कारण जमीन का जोरदार कटाव होने से फसलें और जमीन यमुना की धार में तब्दील हो रही हैं |

ऊंचाई पर बसे कोताना के किसानों की खेती पर भी यमुना की तेजधार भारी नुकसान पहुंचा रही है | यहाँ भी किसानों की सब्जी की फसलें पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं |

बागपत तहसील के गाँव पाली में 709 बी राजमार्ग के पश्चिमी में बसी आबादी यमुना के बढते दायरे से चिंतित है, फिलहाल तक यमुना उनके दोनों मुहल्लों के छोर से दूर है, किंतु लगातार छोडे जाने वाले पानी से कब गलियों और घरों में दस्तक देने लगे, इसपर सबकी निगाहें रात- दिन लगी हैं | ग्राम पाली और काठा के खादर भूभाग में यमुना ने अपना विस्तार कर लिया है, फसलें जलमग्न हैं, सब्जी की फसलें डूब जाने से खत्म हो चुकी हैं तथा खादर के किसानों के सम्मुख रोजी रोटी सहित पशुओं के चारे की चिंता बढने लगी है |