मऊ,(चित्रकूट)-प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्याय को सुलभ बनाने के उद्देश्य से हुआ है विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन - जिला जज ।
मऊ, चित्रकूटः विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में मऊ के महामति प्राण नाथ महाविद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें मानव अधिकारों का संरक्षण करने पर जोर दिया गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जनपद न्यायाधीश विकास कुमार प्रथम ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन न्याय को प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुलभ बनाने के लिए ही किया गया है। प्रत्येक पात्र व्यक्ति को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर मौलिक अधिकारों को मानवाधिकार के रूप में समझा जात है। इसके लिए एक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हकदार होता है। मानव अधिकारों के तहत मानव होने के कारण सभी के पास कुछ बुनियादी अधिकार हैं। जिसमें किसी भी व्यक्ति का जीवन, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार की मानवाधिकार के अन्तर्गत आता है। जिसके अन्तर्गत नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं।
विशेष न्यायाधीश दीप नारायण तिवारी ने बताया कि व्यक्ति के जन्म के साथ ही मानव अधिकार सक्रिय हो जाते हैं। यह सभी जाति, धर्म, लिंग और राष्ट्रीयता के मनुष्यों को जन्म से ही मिल जाते हैं। इनके अत्यधिक महत्व के कारण कई बार मौलिक अधिकार, मूल अधिकार, अन्र्तनिहित अधिकार, प्राकृतिक अधिकार और जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अपर जिला जज फर्रूख इनाम सिद्दीकी ने कहा कि संवैधानिक गारंटी के बावजूद हिरासत में यातना और अन्य पुलिस अत्याचार की घटनाएं अभी भी सुनने को मिलती हैं। पुलिस स्टेशनों में प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व की कमी, गिरफ्तारध्हिरासत में लिए गए व्यक्ति के लिए नुकसानदायक रहती है। मानव अधिकारों और शारीरिक अक्षुणता के लिए पुलिस स्टेशनों में विशेष ध्यान देना चाहिए।
त्वरित न्यायालय के अपर जिला जज सुशील कुमार वर्मा ने बताया कि सभ्यता के विकास के साथ ही मानव के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए राज्य एवं तमाम संस्थाएं अस्तित्व में आई हैं जिससे व्यक्ति एवं संस्था के मध्य विवाद की स्थिति में मानव के अधिकारों का संरक्षण किया जा सके। महाविद्यालय की छात्रा अलंकृता तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए।