चित्रकूट: सर्पदंश जागरूकता कार्यक्रम में झाड़-फूंक छोड़, वैज्ञानिक उपाय अपनाने की अपील।

चित्रकूट: सर्पदंश जागरूकता कार्यक्रम में झाड़-फूंक छोड़, वैज्ञानिक उपाय अपनाने की अपील।

चित्रकूट, 02 दिसंबर: रानीपुर टाइगर रिजर्व के दिशा-निर्देशन में चित्रकूट इंटर कॉलेज में सर्पदंश जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सर्पदंश से जुड़े मिथकों को खत्म करना, सही उपचार प्रक्रिया की जानकारी देना और सांपों के संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता फैलाना था।

कार्यक्रम का संचालन और मुख्य बिंदु

कार्यक्रम का संचालन फील्ड बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी ने किया। उन्होंने सांपों की विभिन्न प्रजातियों, उनके प्राकृतिक व्यवहार और सांप काटने के बाद की सही प्रक्रियाओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि सांप अक्सर आत्मरक्षा के लिए काटते हैं और अधिकांश सांप विषैले नहीं होते।

डॉ. रणवीर सिंह चौहान (प्रधानाचार्य) ने कहा, "सर्पदंश के बाद झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र में समय गंवाने के बजाय वैज्ञानिक उपाय अपनाएं। तुरंत प्राथमिक उपचार करें, जैसे प्रभावित स्थान से 6 इंच नीचे एक रस्सी से बांधें और पीड़ित को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं। समय पर इलाज से कई जानें बचाई जा सकती हैं।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि सांपों को मारने के बजाय उनके संरक्षण की दिशा में काम किया जाए, क्योंकि वे पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सर्पदंश के प्राथमिक उपचार पर जोर

कार्यक्रम के दौरान छात्रों और स्थानीय नागरिकों को सर्पदंश की स्थिति में अपनाए जाने वाले प्राथमिक उपचार के उपाय बताए गए, जैसे:

1. घबराएं नहीं और पीड़ित को शांत रखें।

2. प्रभावित हिस्से को हिलने-डुलने से बचाएं।

3. काटे गए स्थान के ऊपर रस्सी या कपड़ा बांधें, लेकिन बहुत कसकर नहीं।

4. जहर को चूसने या काटे गए स्थान को काटने का प्रयास न करें।

5. पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं।

विपिन कपूर सैनी ने सांपों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सांप पर्यावरण के लिए लाभदायक होते हैं। वे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों और अन्य कीटों की संख्या नियंत्रित करते हैं।

उपस्थित अतिथियों का योगदान

कार्यक्रम में एसडीओ राजीव रंजन सिंह, जिला परियोजना अधिकारी गोपाल कृष्ण गुप्ता, और कई शिक्षाविदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने सांपों और सर्पदंश से जुड़े मिथकों को तोड़ने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए वन विभाग की इस पहल की सराहना की।

छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया

कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों और शिक्षकों ने इसे अत्यधिक शिक्षाप्रद और जागरूकता बढ़ाने वाला अनुभव बताया। वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीनिवास त्रिपाठी ने कहा, "यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को जागरूक करता है, बल्कि समुदाय के लिए भी आवश्यक जानकारी प्रदान करता है।"

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में पहल

यह कार्यक्रम मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और सांपों को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। डॉ. रणवीर सिंह चौहान ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि वन विभाग की यह पहल समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और वन्यजीव संरक्षण को प्रोत्साहित करने का माध्यम बनेगी।

इस अवसर पर फूलचंद्र चंद्रवंशी, रामवचन सिंह, धीरेंद्र सिंह, पीएन श्रीवास्तव, डॉ. रमेश सिंह चंदेल, राकेश कुमार मिश्रा, दीपक कुमार, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

निष्कर्ष

यह जागरूकता अभियान सांपों और मानव के बीच बेहतर सह-अस्तित्व स्थापित करने और सर्पदंश से बचाव के वैज्ञानिक तरीकों को समझाने में मील का पत्थर साबित हुआ। आयोजकों ने भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई, ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें और अनावश्यक भय व मिथकों से छुटकारा पा सकें।