भगवान के प्रति प्रीति रखने वालों का होता है कल्याण - सिद्धार्थ

भगवान के प्रति प्रीति रखने वालों का होता है कल्याण - सिद्धार्थ

चित्रकूट: द्वितीय आनंद महोत्सव रामलीला मैदान कर्वी चित्रकूट में श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा के द्वितीय दिवस भागवताचार्य सिद्धार्थ महाराज ने सैकड़ों श्रोताओं को भगवान की रसमई कथा सुनाई। भागवताचार्य ने बताया कि जीवन में तीन तरह के ही कष्ट होते हैं आदिभौतिक, आधिदैविक, आध्यात्मिक यह तीनों तापों को नष्ट करने में समर्थवान श्रीमद्भागवत महापुराण है। भौतिक अर्थात सांसारिक कष्ट जीव भौतिक संसाधनों से दुखी रहता है। जिस प्रकार से हमारे पास रहने के लिए घर नहीं होता, हमारे पास जब घर बन जाता है, गाड़ी हो जाती है, हमारा परिवार खुश रहता है, उस स्थिति में हम सोचते हैं कि हमारे पास बंगला नहीं है। हमारे पास बड़ी गाड़ियां नहीं है। इस बात का हमें कष्ट ज्यादा रहता है। बल्कि जीव को इस बात का आनंद मनाना चाहिए की भगवत कृपा से हमारे पास रहने, खाने-पीने की समुचित व्यवस्था हो गई है।

दैवीकष्ट है हमारे रिश्तो में कमी रहना किसी के पास पुत्र न होना, किसी के पास पुत्री न होना, किसी के पास माता न होना, किसी के पास पिता का न होना अर्थात जीवन में हर जीव के पास में किसी न किसी रिश्ते की कमी बनी रहती है। इसमें पूर्ण रूप से किसी के पास में सारे पारिवारिक जन नहीं रहते यह दैविक कष्ट हैं। आध्यात्मिक कष्ट जो सब कुछ प्राप्त करके भी प्रशन्न्न नहीं रहते, आनंद में नहीं रहते उनके जीवन में भगवान के प्रति प्रीति नहीं हुई वह भगवान की लीलाओं में भगवान के नाम भगवान के धाम में भगवान की कथा में कभी रुचि नहीं ली तो उनके जीवन में आनंद कहां जो इंद्रियां है, वो विषयी हो रही हैं और मन का राग विषयों में लग रहा है, उन इंद्रियों को भगवान के श्री चरणों में लगाए श्रवण इंद्री को भगवान की कथा सुनने में जिह्वा को भगवान नाम संकीर्तन करने में और चित में भगवान की लीलाओं को स्मरण रखना और हृदय में भगवान की छवि को बसाए रखना इस अवस्था में जब जीव परमात्मा का भजन कीर्तन करता है तो वह संसार में रहते हुए भी मुक्त अवस्था को प्राप्त कर लेता है कहते हैं। मन के हारे हार है मन के मारे जीत मन ही मिलावत रामसो मन ही करता है फजीत मन के मारे बस गए तन जग बस्ती माह कह कबीर मन लालची यह एक फल है ठहरत नाय।

हमारे साथ कामतानाथ तो किस बात की चिंता शरण में रख दिया माथ तो किस बात की चिंता इस भजन पर सैकड़ों भक्त झूमते नजर आए। इस मौके पर सौरभ, ज्योति करवरिया,  रंजना बराती लाल पांडेय, रवि करवरिया, रामभोला गर्ग, सुनील तिवारी, रोहित पयासी, आदित्य पयासी, दीनानाथ पयासी, संदीप पांडेय, पप्पू, महेंद्र अग्रवाल, बसंत लाल, गोरे, स्नेही द्विवेदी, सनत कुमार द्विवेदी, विजय पयासी, रामशंकर मिश्रा, बराती लाल पांडेय आदि मौजूद रहे।