अस्त हुआ ताल की दुनिया का सूर्य,थमीं तबले की थाप नहीं रहे उस्ताद जाक़िर हुसैन

नई दिल्ली। विश्वप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का रविवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया।वे 73 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से दिल की बीमारियों से जूझ रहे थे।
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था,जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
संगीत जगत में अपूर्णींय क्षति
भारतीय शास्त्रीय संगीत और तबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका बड़ा योगदान रहा।उन्होंने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी और अपने करियर में कई ग्रैमी सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किए।
संगीत की दुनिया में जाकिर का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। शास्त्रीय संगीत में उन्होंने जो पहचान बनाई और योगदान दिया है, उसे लंबे अरसे तक याद किया जाएगा। जाकिर हुसैन के निधन से उनके संबंधियों, दोस्त और फैंस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और हर कोई उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है। साथ ही तमाम प्रशंसक सोशल मीडिया पर इस दिग्गज फनकार को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
9 मार्च 1951 में जाकिर हुसैन का जन्म भारत के दिग्गज संगीतकार उस्ताद अल्ला रक्खा के घर हुआ था। शास्त्रीय संगीत की परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का काम जाकिर ने महज 12 साल की उम्र में ही कर दिया था। साल 1973 में उनका पहला म्यूजिक एल्बम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था, जिसे खूब सराहा गया और इसके बाद बतौर तबला वादक जाकिर हुसैन ने मनोरंजन जगत में अपार सफलता हासिल की। 37 साल की उम्र में में साल 1988 में उन्हें पद्म श्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा संगीत की दुनिया में उनके अहम योगदान को देखते हुए बीते साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उन्हें पद्म विभूषण के विशेष पुरस्कार से नवाजा गया था। इस तरह से 1973 से लेकर 2007 तक एक्टिव करियर के दौरान जाकिर को कई नेशनल और इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
उनके निधन की खबर भारत पहुंचते ही प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर शोक जताना शुरू कर दिया।देश-विदेश से लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित कई बड़े नेताओं और कलाकारों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया।
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत और सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।