कांग्रेसियों,के शरीर में आत्मा कमल छाप वालो की पहुंच गईं है, एमपी, के बाद अब कर्नाटक भी हाथ से गया
कांग्रेस मुक्त भारत का सपना धाराशाही होता नजर आ रहा
बुरहानपुर:- गुजराज की राजनीत से ऊपर उठकर केंद्र की राजनीत की और नरेंद्र मोदी ने कदम बढ़ाए थे तब वह शरीर और आत्मा दोनो साथ लेकर आए थे। यही कारण है उत्साह से लबरेज मोदी ने 2014 के आम चुनाव के पूर्व अपने भाषणों में कांग्रेस मुक्त भारत का जिक्र किया था। तब इनका कहना था देश की हर समस्या की जड़ में कांग्रेस है! अगर देश कांग्रेस मुक्त हो जाता है तो सारी समस्या खुद ब खुद खत्म हो जायेगी! उस समय मोदी जी को ज्ञात नही होंगा जिस कांग्रेस मुक्त भारत और भारत की हर समस्या की जड़ में कांग्रेस को समझ रहे है यह उनकी बड़ी भूल है! शायद उन्हें मालूम नही कांग्रेसी नेताओ के शरीर में भाजपा नेताओं की आत्मा वास होने लगा है! शायद यहीं कारण रहा हो मोदी जी के कांग्रेस मुक्त भाषण के पलटवार में कांग्रेसियों ने पुरी ताकत से कहा था कांग्रेस देश के लिए समस्या नही बल्कि भाजपाइयों और भाजपा के लिए एक समस्या है। यह दीगर बात है मोदी के दिए भाषणों के बाद आए चुनाव परीणाम में देश कांग्रेस मुक्त नही हा केंद्र की सत्ता से कांग्रेस जरुर मुक्त हो गईं थीं।
हम 2014 के सफर और मोदी के वादे भाषणों से परे रह देश, प्रदेश की राजनीत को समझने का प्रयास करें तब स्वत: ही ज्ञात हो जाता है जब तक कांग्रेसी नेताओ के शरीर ने भाजपा की आत्मा है तब तक मोदी के किसी भी सपने को साकार नही होने दिया जाएगा ! संघ विचारधारा से उत्पन्न भारतीय जनता पार्टी की साख भले ही हिंदू, हिंदुत्व के साथ सबका साथ सबका विकास हो पार्टी में स्थापित एक वर्ग है जो अब भी इस मूल मंत्र से किनारा करता है! यही कारण है 2018 में मध्यप्रदेश में सत्ता के सम्मुख दिखने वाली पार्टी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई थीं ?
राज्य के बाद केंद्र की सत्ता की चौखट पर माथा टेकने के बाद मोदी जी से बहुत सारी अपेक्षाएं थी काला धन वापसी, महंगाई पर लगाम के साथ भावो में कमी करना गैस, पेट्रोल डीजल के दाम में कटौती करना, बेरोजगारी दूर करना, किसान को उचित दाम जैसे मामले प्रमुख थे। उल्ट इसके तीन तलाक, धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों के हल के बाद गिफ्ट में नोटबंदी जैसे निर्णय ने मोदी की साख पर इजाफा अवश्य किया किंतु खेत में काम करने वाले किसान की आय हो या मजदूर का वेतन इसमें इजाफा नही हुआ। रसोई घर को सम्हालने वाली महिलाओं की रसोई को राहत नही मिली नमक, मिर्च से लेकर दाल और तेल के दामों में गुणात्मक वृद्धि ने खाने का जायका तो बिगाड़ा, रसोई गैस के दामों में तीन गुणा अधिक वृद्धि से मानसिक रुप से कमजोर कर दिया है। जिस मुद्दे को लेकर सत्ता की चौखट को चूमा और शीश झुका नमन किया था आज वही चौखट बीते 9 सालो का हिसाब मांग रही है तो उसके खाते में केरला फाईल्स, कश्मीर फाइल्स, और पार्टी में बढ़ती गुटबाजी, नेताओ की उम्र को लेकर गाईड लाईन, परिवार वाद का खत्मा, वंशवाद का ड्रामा आता है। देश का भला और गरीब को राहत किससे मिलेगी? राहुल गांधी को कम क्षमता वाला नेता बताने से या महंगाई पर लगाम, और हर हाथ को रोजगार देने से। मोदी जी के केंद्र की राजनीत में कुच करने के बाद उत्तेजना की राजनीत में गुणात्मक वृद्धि हुई है। शाब्दिक मायाजाल का खेल हुआ है। फेसबुक और सोशल मीडिया में परोसे जा रहे झूठ पर विश्वास किया गया है। परीणाम हिमाचल के साथ, कर्नाटक हाथ से गया। दो राज्यो का जाना दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र के प्रधान की मन की बात और हैसियत से ऊब रहे है? महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, राज्यो में फैले भ्रष्टाचार, और किसानो की आर्थिक हालत को छिपाने के बजाए इनके निराकरण पर जोर देना होंगा। कोरी गपबाजियो से आम मतदाता ऊब गया है। मां बेटे ने दो राज्य छीन लिए,2023 में पांच राज्य और 2024 में केंद्र की सत्ता और सात राज्यों में चुनाव होना है। 2024 में कांग्रेस मुक्त भारत का सपना मोदी पूरा कर पाते हैं या कांग्रेस के नेताओ के शरीर में बैठी भारतीय जनता पार्टी के नेताओ की आत्मा मोदी को हिमालय की और बिदा होने को मजबूर करती है।