चित्रकूट -भागवत कथा सुनने वाला दुःखों से हो जाता है मुक्त- कथा व्यास - कथा का दूसरा दिन ।

चित्रकूट -भागवत कथा सुनने वाला दुःखों से हो जाता है मुक्त- कथा व्यास  - कथा का दूसरा दिन ।

चित्रकूट ब्यूरो: सदर ब्लाक के एसडीएम कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथा व्यास आचार्य बलुआ महाराज ने कहा कि भागवत कथा अवरोध मिटाने वाली उत्तम अवसाद है। भागवत कथा का आश्रय करने वाला कोई भी दुःखी नहीं होता है। भगवान शिव ने शुकदेव बनकर सारे संसार को भागवत सुनाई है। 

कथा व्यास आचार्य बलुआ महाराज ने कर्मो का सार बताते हुए कहा कि अच्छे और बुरे कर्मो का फल भुगतना ही पडता है। उन्होंने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए कहा कि भीष्म पितामह छह महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे थे। जब भीष्म पितामह वाणों की शैय्या पर लेटे थे, तब वे सोच रहे थे कि उन्होंने ऐसा कौन-सा पाप किया है जो उन्हें इतना कष्ट सहन करना पड रहा है। जब भीष्म पितामह ने भगवान श्रीकृष्ण से यह प्रश्न पूछा तब भगवान ने भीष्म पितामह से कहा कि पिछले जन्म में जब आप राजकुमार थे और घोडे पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। इस दौरान आपने एक नाग को जमीन से उठाकर फेंक दिया जो कांटों पर जाकर गिरा था और छह माह तक उसके प्राण नहीं निकले थे। यह उसी कर्म का फल है, जो आप छह महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे है। इसका मतलब है कि कर्म का फल सभी को भुगतना होता है। इसलिए कर्म करने से पहले सोचना चाहिए। भागवत भाव प्रधान और भक्ति प्रधान ग्रंथ है। भगवान पदार्थ से परे है, प्रेम के अधीन है। प्रभु को मात्र प्रेम ही चाहिए। अगर भगवान की कृपा दृष्टि चाहते है, तो सच्चाई की राह पर चलना चाहिए। भगवान का दूसरा नाम ही सत्य है। सत्यनिष्ठ प्रेम के पुजारी भक्त भगवान के अति प्रिय होते है। कलियुग में कथा का आश्रय ही सच्चा सुख प्रदान करता है। कथा श्रवण करने से दुःख और पाप मिट जाते है तथा सभी प्रकार के सुख एवं शांति की प्राप्ति होती है। भागवत कथा कलियुग का अमृत है, इसलिए जब भी मौका मिले तब कथा सुनो और भगवान का भजन करो। आचार्य ने कहा कि जब हम स्वयं से पहले दूसरो की चिन्ता करते हैं, अपना पेट भरने से पहले दूसरो का पेट भरते हैं, तब भगवान सबसे ज्यादा खुश होते हैं। ईश्वर ने जिन लोगों को सक्षम बनाया है, उन्हे दान, धर्म, सेवा अवश्य करनी चाहिए। कथा में मुख्य यजमान रामसूरत पयासी, सावित्री देवी, राधेरमण पयासी, प्रशांत कुमार द्विवेदी, उमेश पयासी,सरयू प्रसाद पांडेय, प्रकाश चंद्र मिश्र, निरंजन मिश्र, इं. रोहित कुमार मिश्र, एड देवेंद्र कुमार पांडेय, रत्नेश पाण्डेय, अनीता द्विवेदी, सतरूपा मिश्रा, साधना मिश्रा आदि मौजूद रहे।