हार्ट अटैक से युवाओं की मौत पर एक्सपर्ट ने दिया जवाब
मेरठ. एक युवा पत्रकार की असमय मौत से मेरठ में शोक की लहर है. जिस वक्त युवा पत्रकार के साथ घटना हुई वो कवरेज पर थे. बताया जाता है कि उनके सीने में एकाएक तेज दर्द उठा. वो खुद ही स्कूटी चलाकर अस्पताल पहुंचे. मेरठ मेडिकल कॉलेज में उनका इलाज शुरु हुआ लेकिन वो बच नहीं पाए. कई ऐसी घटनाओं के बारे में जाना होगा जहां कम उम्र में लोग खेलते खेलते नाचते नाचते बैठे बैठे कार्डिएक अरेस्ट का शिकार हुए और उनकी मौत हो गई.
मेरठ पहुंचे देश के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर संदीप सिंह से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसके पीछे एक बड़ा कारण हमारा लाइफ स्टाइल है. डॉ संदीप ने कहा कि कोविड के बाद से हमारी लाइफ स्टाइल चेंज हो गई है. हमारे खाने का तरीका बदल गया है. काफी हद तक जो हमारा नेचुरल फूड हुआ करता था वो बदल गया है.
तो हार्ट अटैक की घटनाएं कम होंगी
डॉ संदीप सिंह ने कहा कि अगर खानपान और दिनचर्या को चेंज किया जाए तो हार्ट अटैक की घटनाएं कम होंगी. डॉ संदीप कहते हैं कि हम लोग जिम करने चले जाते हैं लेकिन मेडिकल हिस्ट्री से कोई मतलब नहीं होता. कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं मांगी जाती. जिम में मेडिकल रिपोर्ट क्यों नहीं ली जाती? सप्लीमेंट्स का सेवन भी अंधाधुंध शुरु हो जाता है. युवा जल्दी ही हीमैन जैसे मसल्स बनना चाहते हैं.
युवा मरीज़ों में जो हार्ट अटैक होता है वो बिलकुल अलग
मेरठ में एक युवा पत्रकार की असमय मौत जैसे ही खेलते-खेलते मिड एज पर्सन की मौत हाल के दिनों में हुई थी. डॉ संदीप का कहना है कि कई सारी चीज़ों को एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता कि क्या स्ट्रेस लेवल था? ये भी देखना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि युवा मरीज़ों में जो हार्ट अटैक होता है वो बिलकुल अलग होता है. वो कहते हैं कि युवाओं में कॉलेस्ट्रॉल का बबल जब बर्स्ट होता है तो खून की आर्टरी को सौ फीसदी बंद कर देता है. जैसे अंडे की हाफ फ्राई के दौरान उसकी जर्दी पर हल्का सा छेद किया जाए तो वो एकदम से फैल जाएगा. यही हाल दिल का हो जाता है. ओल्ड लेवल में कॉलेस्ट्रॉल मेच्योर कर जाता है. धीरे धीरे आर्टरी बंद होती हैं; एकदम से बंद नहीं होती. लेकिन युवाओं में इतना वक्त भी नहीं मिलता.
शुरुआती लक्षणों को इग्नोर करना खतरनाक और जानलेवा
मेरठ पहुंचे डॉ संदीप सिंह ने बताया कि हार्ट डिजीज को कंट्रोल करने में इसकी शुरुआती पहचान का कितना अहम रोल है और शुरुआती लक्षणों को इग्नोर करने से समस्या कितनी गंभीर हो सकती है. डॉ संदीप ने कहा, शुरुआती लक्षणों को अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं और फिर ये बड़ी मुसीबत बन जाती है. हाल के वक्त में हार्ट डिजीज के इलाज से जुड़ी तकनीक में काफी तरक्की हुई है. अब मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी की जा रही हैं जिसमें ब्लड लॉस कम होता है. अस्पताल में कम रहना पड़ता है. मरीज की जल्दी रिकवरी होती है और सर्जरी के बाद क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार होता है.
लाइफस्टाइल में बदलाव काफी अहम
हाल के वक्त में खासकर, कार्डियक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के क्षेत्र में काफी एडवांसमेंट हुए हैं जिसने मरीज को काफी लाभ पहुंचाया है. सर्जरी के बाद कम वक्त में ही मरीज ठीक होने लगता है और उनके जीवन में पॉजिटिव सुधार आता है. ईसीएमओ और एलवीएडी ने हार्ट फेल के गंभीर मरीजों को भी उम्मीद दी है. दिल की बीमारियों पर कंट्रोल करने के लिए हॉलिस्टिक अप्रोच की जरूरत होती है. लाइफस्टाइल में बदलाव काफी अहम है. संतुलित डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और स्मोकिंग से दूर रहना काफी अहम है.