आईआईटी कानपुर में शुरू होगा देश का पहला हैड्रोनथेरेपी सेंटर कैंसर का इलाज होगा आसान

आईआईटी  कानपुर में शुरू होगा देश का पहला हैड्रोनथेरेपी सेंटर कैंसर का इलाज होगा आसान

कानपुर। कैंसर के जिन मामलों में रेडियोथेरेपी से भी काम नहीं बनता है उनमें सटीक उपचार करने वाली हैड्रोनथेरेपी की सुविधा जल्द भी देश में मिल सकेगी। आईआईटी कानपुर में देश का पहला हैड्रोनथेरेपी केंद्र शुरू किया जा रहा है। हैड्रोनथेरेपी अनुसंधान और उपचार का यह पूरी दुनिया में सातवां केंद्र बनेगा।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस गणेश ने शुक्रवार को इटली के राष्ट्रीय हैड्रोनथेरेपी कैंसर केंद्र के अध्यक्ष प्रो. जी वैगो के साथ एक एमओयू किया है जिसके तहत दोनों संस्थान मिलकर भारत में हैड्रोनथेरेपी के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम का संचालन करेंगे। हैड्रोनथेरेपी का प्रयोग मस्तिष्क, खोपड़ी आधार सर्जरी, रीढ़ की हड्डी, सिर और गले के कैंसर, श्वसन तंत्र में कैंसर, वक्षस्थल, जननांग और बच्चों के कैंसर में किया जा रहा है।
कैंसर उपचार में है सहायक
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस गणेश ने बताया कि कैंसर उपचार में हैड्रोनथेरेपी एक ऐसी रेडियोथेरेपी है, जिसमें इलेक्ट्रान के बजाय प्रोटान और कार्बन के आवेशित कणों का प्रयोग किया जाता है। इसकी मदद से ऐसे मामलों में भी कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं का उपचार संभव है जिनका ऑपरेशन संभव नहीं है और इलेक्ट्रॉन आवेशित कणों वाली रेडियोथेरेपी भी फेल हो रही है।
हैड्रोनथेरेपी सेंटर में होगा उपचार
आईआईटी कानपुर के गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी और इटली के राष्ट्रीय कैंसर हैड्रोनथेरेपी केंद्र के विशेषज्ञ आपसी सहयोग के साथ क्षमता विकास के लक्ष्य को पूरा करेंगे। इससे हमारे विशेषज्ञों को हैड्रोनथेरेपी सीखने को मिलेगी और दोनों संस्थान के विशेषज्ञ मिलकर नए अनुसंधान भी कर सकेंगे। एमओयू के अवसर पर गंगवाल स्कूल के पीआइसी प्रो. संदीप वर्मा, बीएसबीई विभाग के प्रो. अशोक शर्मा और अनुसंधान में सहयोग करने वाली प्रो अर्चना शर्मा भी मौजूद रहीं।
स्वस्थ कोशिकाएं नहीं होती हैं क्षतिग्रस्त
हैड्रोनथेरेपी का प्रयोग ऐसे ट्यूमर को हटाने में किया जा रहा है जहां आकार या जटिलता की वजह से ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है और रेडियोथेरेपी से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन भी ट्यूमर को नष्ट नहीं कर पाते हैं। प्रोटान और कार्बन के आवेशित कणों का वेग इलेक्ट्रॉन से अधिक होने की वजह से यह तकनीक कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम है। इटली के हैड्रोनथेरेपी सेंटर में इसके लिए सिंक्रोट्रान उपकरण स्थापित किया गया है जिसमें प्रोटान-कार्बन के आवेशित कणों की गति आधे सेकंड में 30 हजार किमी हो जाती है और कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं पर सटीक प्रहार किया जाता है।